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उदयपुर

विधानसभा में उदयपुर : हाड़ा रानी के खंडहर महलों व चांवड़ का मुद्दा उठा

– विधायकों ने उठाए मुद्दे

उदयपुरFeb 12, 2019 / 03:06 pm

Mukesh Hingar

rajasthan vidhansabha

विधानसभा में उदयपुर : हाड़ा रानी के खंडहर महलों व चांवड़ का मुद्दा उठा

उदयपुर. विधानसभा में सोमवार को चावंड में हुए विकास कार्यों को लेकर सलंूबर विधायक ने सवाल उठाया। इसके साथ ही सलूंबर में स्थित हाड़ा रानी के खंडहर महलों को लेकर किए सवाल पर कोई जवाब नहीं मिल पाया। सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा ने तारांकित प्रश्न किया कि क्या सरकार महाराणा प्रताप की निर्वाण स्थली व तृतीय राजधारी चावंड के खंडहर महलों का जिर्णोद्धार, सडक़ों की चौड़ाईकरण, लाइट व्यवस्था, पर्यटक स्थल से जोडऩे व राष्ट्रीय धरोहर बाने का विचार रखती है? इस पर शिक्षा राज्यमंत्री गोविंदसिंह डोटासरा ने कहा कि चावंड स्थित महाराणा प्रताप के खंडहर महल राष्ट्रीय धरोहर स्थल के रूप में पहले से ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का संरक्षित स्थल घोषित है, जिसका संरक्षक/जीर्णोद्धार का कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से समय-समय पर किया जा रहा है। पर्यटकों के लिए सूर्य उदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है, एेसे में यहां लाइट की व्यवस्था नहीं है। राज्य सरकार द्वारा बजट उपलब्धता एवं प्राथमिकता के आधार पर विकास कार्यों के प्रस्ताव पर युक्तियुक्त निर्णय लिया जाता है। इस पर विधाक मीणा ने कहा कि महाराणा प्रताप की मृत्यु कब हुई थी? महाराणा प्रताप के पुण्य स्थल इचावण में १९५२ से आज तक कितनी-कितनी राशि खर्च हुई?
इस पर डोटासरा ने बताया कि यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है। उन्हीं की अनुमति से कोई भी काम होते हैं। समय-समय पर राज्य सरकार, केंद्र सरकार ने भी इसे हैरिटेज लुक देने के लिए काम कराए हैं। वित्तीय वर्ष २००५-०६ में ६७५ लाख का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ था और २०१५-१६ में ७६७.२३ लाख रुपए का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ था। इसमें उक्त परियोजनाओं के तहत चावंड, गोगुंदा, हल्दीघाटी, दीवेर, छापली में काम हुए।
बीच में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि देश की आजादी के बाद, चावंड महाराणा प्रताप की निर्वाण स्थली है, इस निर्वाण स्थली पर कब-कब काम हुआ, उस वर्ष का नाम बताओ, जिस में पहली बार काम हुआ? कौन-कौन से साल में कितना पैसा लगा। उन्होंने कहा कि १९५२ से १९७५ तक ये महाराणा प्रताप थे या नहीं थे, चावंड था या नहीं था, चावंड पर काम हुआ कि नहीं हुआ। इसके लिए जिम्मेदार कौन था? इस पर डोटासरा ने २००५-०६ और २०१५-१६ में जारी स्वीकृतियों के बारे में विस्तार से बताया।
ग्रामीण में 10 स्कूलों में बैठने की व्यवस्था भी नहीं
विधायक फूलसिंह मीणा द्धारा एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि ग्रामीण विधानसभा में १३६ स्कूल संचालित है जिसमें से १० में पर्याप्त बैठने की व्यवस्था नहीं है। यही नहीं क्षेत्र के स्कूलों में ८८ शिक्षकों के पद रिक्त है। जहंा पर भवन नहीं है वहां सरकार ने बताया कि आर.टी.ई. मानदण्ड अनुसार एवं विद्यार्थियों के नामांकन के आधार पर इन10 विद्यालयों में आवश्यक 31 कक्षाकक्षों में से 3 विद्यालयों में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा 16 कक्षाकक्षों का निर्माण किया जा रहा है। एक विद्यालय में डी.एम.एफ.टी योजना में 2 कक्षाकक्षों के निर्माण की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव भेजे है। जबकि बाकी के13 कक्षाकक्षों के निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के अलावा समग्र शिक्षा अभियान, डी.एम. एफ.टी. में बजट की उपलब्धता के अनुसार स्वीकृति जारी की जाएगी।
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