सुख-दु: ख की पाती लिख दादी बांट रही प्रेम, लिखे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर अपनों को पत्र
मधुलिका सिंह/उदयपुर. डाकिया जब घर पर चिट्ठी-पाती लेकर आता था तो घर में अलग ही खुशी छा जाती थी। रिश्तेदारों और अपनों का पत्र सबसे पहले पढऩे की भी होड़ लगती थी। लेकिन जैसे-जैसे कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी दुनिया लोगों के मन-मस्तिष्क पर छाई, वैसे-वैसे चिट्ठी -पत्री की जरूरत ना केवल दिमाग से बल्कि दिल से भी निकल गई। अब ना तो चिट्ठियां लिखी जाती हैं और ना ही आज की पीढ़ी उन्हें पढऩा पसंद करती है। लोग बस वॉट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया माध्यमों से ही अपनों से जुड़े हुए हैं और यहीं एक-दूसरे का हालचाल पूछने का ट्रेंड भी चल पड़ा है। लेकिन इंटरनेट के इस दौर में भी आज अपने हाथ से चिट्ठी-लिखकर अपनों का हालचाल पूछना बदस्तूर कायम कर रखा है उदयपुर की एक दादी ने।
इंदिरा गांधी से लेकर वीवी गिरी तक को लिखा पत्र 90 बसंत पार कर चुकी दादी पुष्पलता धाकड़ सरकारी शिक्षिका के पद से रिटायर्ड हुई हैं। वहीं, पिछले 25 सालों से अपनों के हर सुख-दु:ख में उनको पाती लिखती आ रही हैं। इस उम्र में भी उन्होंने चिट्ठी – पाती लिखना छोड़ा नहीं हैं। एक खास बात यह भी है कि वे सिर्फ अपनों को ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति को भी पत्र लिख चुकी हैं। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी को वर्ष 1966 में , पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी को 1969 और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को वर्ष 2014 में लिखे पत्र तक शामिल हैं। इन्हें शुभकामना पत्र प्रेषित किए थे। वहीं, जवाब में इन हस्तियों ने दादी के खतों का प्रत्युत्तर भी भेजा है जिन पत्रों को उन्होंने आज भी सहेज कर रखा है।
पाती है प्रेम का प्रतीक पुष्पलता धाकड़ ने बताया कि उनके घर में उनके तीन बेटे, तीन पोते, सात से आठ पड़ पोते व दोहिते सभी हैं और हंसता-खेलता परिवार है। उन सभी को प्रेम की डोर में बांध रखा है। पिछले 20-25 सालों से उन्होंने चिट्ठी- लिखना शुरू किया था। वे आज भी अपने हाथ से सुंदर लिखावट में पत्र को बाकायदा अच्छे से सजाकर लिखा करती हैं जिससे ही पाती में उनका प्रेम झलक पड़ता है। उनका मानना है कि आज के दौर में रिश्ते सिर्फ वीडियो कॉल्स, सोशल मीडिया तक सिमट कर रह गए हैं। ऐसे में ये पाती अपनापन और प्रेम का प्रतीक है। यह भारतीय संस्कृति है जिसे कायम रखा जाना चाहिए।
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