सरकार अब बची 672 दुकानों को भी कंपनियों को देने का पूरा मानस बना लिया है। पूरे प्रदेश में 7665 दुकानों में से पहले चरण में 2556 दुकानों का ही नवीनीकरण हो पाया था। बची 5109 दुकानों के लिए सरकार ने पॉलिसी में कई रियायत दी और नीलामी के पांच चरण किए लेकिन इसके बावजूद 774 दुकानें पड़त में रह गई।
इन दुकानों को चलाने के लिए पहले चरण में सरकार ने जयपुर की 82 व उदयपुर की 20 दुकानों को आरएसबीसीएल व जीएसएम को दे दिया, कुछ दुकानें आरटीडीसी को भी देने की तैयारी है। अन्य जिलों की पड़त दुकानों को भी सरकार इसी तरह से कंपनियों को देकर राजस्व कमाएगी।
सरकार की उम्मीदों पर खरी उतर जाए कंपनियां
सरकार ने आरएसबीसीएल, जीएसएम व आरटीडीसी को करोड़ों की दुकानें तो सुपुर्द कर दी लेकिन इन दुकानों पर कोई गारंटी तय नहीं है। यह शराब उठाए या न उठाए, बेचे या न बेचे इन पर कोई दबाव नहीं है। ऐसी स्थिति में माल गोदामों में भरा रहेगा।
सरकार व विभाग का मानना है कि संबंधित कंपनियों के सुपुर्द की गई कई दुकानें महंगी है, उन पर ग्राहकी अच्छी है। बस संबंधित कंपनियां नियमानुसार यहां व्यवसाय करे तो निश्चित रूप से राजस्व आ सकता है। गौरतलब है कि पूर्व में इन्हीं कंपनियों को गारंटी पूर्ति की शर्त पर दुकानें दी तो तो यह दो से तीन माह भी नहीं चला पाए थे।