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उदयपुर

जिले में शीतलहर ने किसानों पर बरपाया कहर, अमरूद-अनार जैसे फलदार पौधे भी जलकर खाक

शीतलहर ने किसानों को रुलाया, बैंगन-टमाटर के खेत के खेत नष्ट

उदयपुरJan 03, 2019 / 03:33 pm

madhulika singh

मानवेन्द्र सिंह राठौड़/उदयपुर. जिले में शीतलहर और पाले ने ऐसा कहर बरपाया है कि किसानों की कमर टूट गई। सब्जियों के खेत के खेत उजाड़ हो गए, सबसे ज्यादा बैंगन और टमाटर पर असर पड़ा है। कड़ाके की सर्दी में चली गलनभरी हवा ने फलदार पेड़ पौधों को भी जलाकर खाक कर दिया। जिले में 40से 50 फीसदी खराबा सब्जियों की फसल में हुआ है। झाड़ोल के छातरड़ी में 22 बीघा में फैला अमरूद का बाग और सलूम्बर के गुड़ेल में 10 बीघा जमीन पर लगा रखा अनार का बगीचा पाले की भेंट चढ़ गया है। मौसम की मार ने किसानों को रुला दिया है। आर्थिक नुकसान ने उनकी कमर तोड़ दी है। गौरतलब है कि राजसमंद के पीपली आचार्यान में तो बैंगन की खेती पर पाले की मार से आहत एक किसान आत्महत्या कर चुका है।
रबी फसले पाले से बच गई
पाले ने मावली-वल्लभनगर, गिर्वा,झाड़ोल, सलूम्बर और बडग़ांव में अपना जो कहर बरपाया उससे रबी की फसलें चपेट में आने से बच गई। कृषि अधिकारियों ने भी माना कि बैंगन व टमाटर के अलावा फलदार पौधे इसकी चपेट में आए हैं। गाजर,मूली भिंडी और मिर्ची भी 25 से 30 फीसदी खराब हुई है।
सबसे ज्यादा यहां हुआ नुकसान…
सबसे ज्यादा गिर्वा के बूझड़ा, नाई, सीसारमा, मदार, लखावली, बड़ी, बडग़ांव, बेदला, समेत दो दर्जन गांवों में सब्जियों के खेत के खेत पाले की भेंट चढ़ गए। बैंगन, टमाटर और मटर के तो खेत के खेत सूख गए। बूझड़ा निवासी किसान वरदीचंद पटेल के दो बीघा खेत में उगा रखे बैंगन पाले से जल गई। राधेश्याम तेली और लीलाधर तेली के सब्जियों के खेतों में पाले ने सबकुछ नष्ट कर दिया। भारी नुकसान के साथ यह किसान कर्ज तले दब गए हैं।
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फलों के बगीचे तक उजड़े
झाड़ोल तहसील के छातरड़ी निवासी गोविंद सिंह राठौड़ का 22 बीघा क्षेत्र में लगा रखा अमरूद का बगीचा पाले की वजह से नष्ट हो गया। आधे से ज्यादा पेड़ों की पत्तियां ओर फल सूखकर गिर गए तो कई जड़मूल से जल गए। इसके अलावा डेढ़ सौ पौधे आंवले,आम,चीकू,केले, अनार के भी झुलस गए। सलूम्बर के गुड़ेल निवासी किशोरसिंह का अनार का बाग नष्ट हुआ।
इनका कहना

पाला गिरने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। जिन खेतों में सिंचाई कर रखी थी वहां,नहर,नदी और तलाब किनारे,पहाडिय़ों की तलहटी में स्थित खेतों में असर कम पड़ा है। पाले की वजह से खराबे का आंकलन कर मुख्यालय रिपोर्ट भेजी जा रही है। – डॉ. देवेन्द्रप्रतापसिंह राठौड़, कृषि अधिकारी (उद्यान)

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