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उदयपुर

बच्चों को कागजों में ही परोस दिया ‘हलवा’, थाली में नहीं पहुंच पाए व्यंजन

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उदयपुरSep 15, 2018 / 04:58 pm

madhulika singh

poshan abhiyan

बच्चों को कागजों में ही परोस दिया ‘हलवा’

भुवनेश पंड्या/ उदयपुर. प्रधानमंत्री कार्यालय ने देशभर में सितंबर को राष्ट्रीय पोषण महीने के रूप में मनाने का निर्णय किया था। इसके तहत स्कूली बच्चों को सामान्य भोजन के साथ ही हलवा और इडली जैसे कई व्यंजन परोसे जाने थे, लेकिन सरकार ने इसके लिए बजट का प्रावधान नहीं किया। ऐसे में आधा महीना गुजरने के बाद भी बच्चों की थाली में व्यंजन नहीं पहुंच पाए हैं। राष्ट्रीय पोषण माह में फल, सूजी का हलवा, इडली, पूड़ी, छोला, मूंग, मोठ, काले चने व आंवले आदि परोसे जाने हैं ताकि उन्हें जरूरी पोषक तत्व मिल सकेंं। बच्चों को सप्ताह में दो बार यह डाइट देने का प्रावधान है। बजट के अभाव में आधा माह योजना पर क्रियान्वयन के अभाव में गुजर गया। अब जन सहयोग व स्वयंसेवी संस्था के सहयोग से बच्चों को व्यंजन खिलाने का मानस बनाया जा रहा है।

ये भी करना है
– बच्चों को स्वास्थ्य मेलों के माध्यम से पौष्टिक आहार के बारे में जानकारी दी जानी है। इसमें स्वयंसेवी संस्थाओं एवं महिला एवं बाल विकास विभाग का सहयोग लिया जा सकता है।
– बच्चों को डी वार्मिंग की गोलियां, विटामिन ए और डी और आयरन की गोलिया खिलाई जाएं।
– हाथ धोने की प्रवृत्ति नियमित करवाई जाए।

संदर्भ

भारत सरकार ने तीन वर्ष के लिये 9046.17 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान करते हुए वित्तीय वर्ष 2017-18 से शुरू होने वाले राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की है।
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पृष्ठभूमि

छह वर्ष से कम आयु के बच्चों और महिलाओं के बीच कुपोषण को कम करने के लिये सरकार ने कई योजनाएँ लागू की हैं। इन योजनाओं के बावज़ूद देश में कुपोषण तथा संबंधित समस्याओं का स्तर अंतरर्राष्ट्रीय मानकों की तुलना में काफी अधिक है। निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये योजनाओं में एक-दूसरे के साथ तालमेल देखने को नहीं मिलता। एनएनएम सुदृढ़ व्यवस्था स्थापित करके वांछित तालमेल कायम करेगा, ताकि इस समस्या को कुछ कम किया जा सके।
रणनीति एवं लक्ष्य

एनएनएम एक शीर्षस्थ निकाय के रूप में मंत्रालयों के पोषण संबंधी हस्तक्षेपों की निगरानी, पर्यवेक्षण, लक्ष्य निर्धारित करने तथा मार्गदर्शन का काम करेगा। राष्ट्रीय पोषण मिशन का लक्ष्य ठिगनापन, अल्पपोषण, रक्ताल्पता (छोटे बच्चों, महिलाओं एवं किशोरियों में) को कम करना तथा प्रतिवर्ष अल्पवजऩी बच्चों में क्रमश: 2त्न, 2त्न, 3त्न तथा 2त्न की कमी लाना है।

आयुक्तालय ने आदेश जारी किए हैं। सभी स्कूलों को निर्देशित किया है, ताकि बेहतर पोषण की ओर कदम बढ़ाया जा सके।

नरेश डांगी, डीइओ माध्यमिक प्रथम

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