वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि रणथम्भौर जैसे बड़े अभयारण्य में स्वंच्छद विचरण कर दहाड़े मारने वाले उस्ताद का अब बॉयोलोजिकल पार्क में दम घुट रहा है जिसे घने जंगल और खुले प्राकृतिक वातावरण में रखने की जरूरत महसूस की जा रही है। कुंभलगढ़ के अलावा रणकपुर में पहले से बने हुए इनक्लोजर में रखने पर विचार हुआ था, लेकिन वहां इनक्लोजर की हाइट व क्षेत्रफल कम होने से इसका प्रस्ताव रद्द कर दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि कुंभलगढ़ दुर्ग के पश्चिम में महुडी खेत में करीब 300 से 400 हेक्टेयर में उस्ताद के लिए इनक्लोजर बनाने का तख्मीना तैयार कर लिया गया है। इस पर करीब तीन करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
दो इनक्लोजर बनेंगे कुंभलगढ़ में करीब 10 फीट ऊंची कंटीली तारों की फेंसिंग की जाएगी और दो इनक्लोजर बनेंगे जिसमें एक छोटा जबकि एक बड़ा होगा। दोनों इनक्लोजर में उस्ताद के अन्दर और बाहर जाने के रास्ते भी रहेंगे। उस्ताद को खाने-पीने की ठीक वैसी ही सुविधा मिलेगी जैसी अभी सज्जनगढ़ में है। सूत्रों ने बताया कि मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) राहुल भटनागर, राजसमंद के उप वन संरक्षक फतह सिंह समेत विभाग के तकनीकी अधिकारियों ने महुड़ी का मौका मुआयना कर इसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट भी विभाग को भिजवा दी है।
शिफ्टिंग क्यों
सज्जनगढ़ बॉयोलॉजिकल पार्क में टी-24 को करीब एक हेक्टेयर में बने इनक्लोजर में रखा जा रहा है, जो उसके लिए घुटन भरा है। टी-24 रणथम्भौर जैसे घने जंगल में खुले में विचरण करता रहा था और खूंखार प्रवृत्ति होने से उसे 16 मई 2015 को यहां लाया गया था, लेकिन उसे बॉयोलोजिकल पार्क रास नहीं आ रहा है। वह खुद को असहज महसूस कर रहा है। वह आए दिन पेट संबंधी बीमारी से जूंझ रहा है। यह सिर्फ छोटे इनक्लोजर में ही सीमित रह गया। इसको ध्यान में रखकर विभाग ने उच्च स्तरीय मंत्रणा के बाद इसे रणथम्भौर जैसा माहौल देने के लिए कुंभलगढ़ को ज्यादा मुफीद माना है। एक वर्ष तक मंथन के बाद यह प्रस्ताव तैयार किया गया है।
……. टाइगर टी-24 को प्राकृतिक वातावरण देने की दृष्टि से भविष्य में कुंभलगढ़ अभयारण्य में शिफ्ट करने पर विभाग में उच्च स्तरीय मंथन चल रहा है। इसके लिए 3-4 माह पूर्व भी प्रस्ताव बनाकर भेजे गए थे। जल्द ही एक नया प्रस्ताव भी तैयार कर रहे हैं। – फतह सिंह, उप वन संरक्षक (वन्यजीव) राजसमंद