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उदयपुर

क्या आपको विश्वास होगा..एमबी अस्पताल प्रबंधन को पता नहीं और वो कर गया कमाई

क्या आपको विश्वास होगा..एमबी अस्पताल प्रबंधन को पता नहीं और वो कर गया कमाई

उदयपुरFeb 17, 2019 / 05:22 pm

Mohammed illiyas

मोहम्मद इलियास/उदयपुर
महाराणा भूपाल चिकित्सालय के बाल चिकित्सालय के सामने दो कियोस्क पर व्यवसायिक गतिविधियां संचालित होती रही और अस्पताल प्रबंधन को पता ही नहीं चला। न्यायालय में अस्पताल प्रबंधन की ओर से इस संबंध में केंटीन संचालक की ओर से पेश याचिका में कुछ इसी तरह का तर्क में दिया गया। सिविल न्यायालय शहर उत्तर के पीठासीन अधिकारी रूपेन्द्र सिंह चौहान ने सुनवाई के बाद मौका निरीक्षण के लिए कमीश्नर नियुक्त किया तथा कियोस्क संचालक को आगामी आदेश तक व्यवसायिक गतिविधियां संचालित नहीं करने के लिए पाबंद किया है। इसके अलावा अस्पताल प्रबंधन को भी आदेश दिया कि कियोस्क संचालक की ओर से वह किसी तरह व्यवसायिक गतिविधियां नहीं होने दे।न्यायालय ने यह निर्णय सेपुर सराड़ा हाल तितरड़ी निवासी कन्हैयालाल पुत्र जीवाजी पटेल बनाम बाल चिकित्सालय के सामने स्थित सरस व ज्यूस कियोस्क संचालक संतोष कुमार श्रीवास्तव, राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी जरिए सदस्य सचिव डॉ. लाखन पोसवाल, आरएनटी के प्रधानाचार्य व हॉस्पिटल अधीक्षक के प्रकरण में पेश स्थाई निषेधाज्ञा व क्षतिपूर्ति राशि के पेश याचिका में दिया। परिवादी का कहना है कि उसने अस्तपाल परिसर में निविदा के जरिए नवंबर 2015 में केंटीन ठेका लिया था। उसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने बाल चिकित्सालय के सामने दो कियोस्क में से एक में मिल्क पार्लर एवं दूसरे में फ्रूट एवं ज्यूस सेंटर कार्य के लिए दो वर्ष की अवधि के लिए निविदा निकाली। निविदा में मिल्क पार्लर कियोस्क पर सरस व अमूल उत्पाद के साथ सिर्फ पैकिंग बिस्किट एवं ब्रेड के अतिरिक्त अन्य सामग्री नहीं बेचने की पाबंदी थी। दूसरे ज्यूस कियोस्क पर फ्रूट एवं ज्यूस को ही बेचने की शर्त निर्धारित की थी। यह निविदा गोविन्द पुत्र गोताजी के खुली। उक्त निविदा को अस्पताल प्रबंधन ने संतोष कुमार श्रीवास्तव को गुपचुप तरीके से दे दी गई। श्रीवास्तव दोनों कियोस्क को सुचारू रूप से संचालित नहीं कर पाया। इस पर अस्पताल प्रबंधन ने फिर से निविदा आमंत्रित की तथा बाद में अपरिहार्य कारणों से निरस्त कर दी लेकिन श्रीवास्तव दोनों कियोस्क संचालित करता रहा। दोनों कियोस्क की किराया राशि जमा नहीं कराने पर उसने अनुबंध समाप्ति का प्रार्थना पत्र दे दिया था, अस्पताल प्रबंधन ने किराया नहीं देने पर कार्रवाई भी की। उक्त निविदा सितम्बर 2018 में समाप्त हो चुकी है अब प्रतिवादी श्रीवास्तव वहां जबरन मनमाफिक दो कियोस्क संचालित कर चाय,समोसा व अन्य सामग्री बेच रहा है। इससे परिवादी की केंटीन की बिक्री प्रभावित हो रही है और प्रतिदिन पांच हजार रुपए का नुकसान हो रहा है जिसे पाबंद किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान अस्पताल प्रबंधन की ओर से जवाब में कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं है। सिविल न्यायालय शहर उत्तर के पीठासीन अधिकारी रूपेन्द्र सिंह चौहान ने न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद विपक्षी कियोस्क संचालक को आदेश दिया कि वह आगामी आदेश तक निविदा अनुबंध की शर्तो के विरुद्ध कोई व्यवसायिक गतिविधियां अस्पताल परिसर में संचालित नहीं करें। अस्पताल प्रबंधन भी इस तरह की गतिविधियां संचालित नहीं होने दे। न्यायालय ने मामले में प्रार्थना पत्र के निस्तारण के लिए मौका स्थिति के लिए अधिवक्ता सतीश श्रीमाली को कोर्ट कमीश्नर नियुक्त किया। कमीश्नर सम्पूर्ण मौका रिपोर्ट अगली पेशी तक पेश करने को कहा। —
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