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उदयपुर

VIDEO : घटिया जीर्णोद्धार कार्य बढ़ाएगा झीलों से रिसाव

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट : गैर अनुभवी फर्म को दिया ठेका

उदयपुरMay 20, 2019 / 10:52 pm

Dhirendra

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VIDEO : घटिया जीर्णोद्धार कार्य बढ़ाएगा झीलों से रिसाव

धीरेंद्र् जोशी/उदयपुर. स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत झील एवं इसके किनारे हो रहे लाखों रुपए खर्च कर करवाए जा रहे हैरिटेज वर्क में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा है, जो भविष्य में झील में रिसाव को बढ़ाने वाला साबित होगा। इधर, जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार का अनुभव नहीं रखने वाली फर्म को ठेका देने पर भी सवाल उठने लगे हैं।
शहर को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाली पिछोला और अन्य झीलों के प्रति अधिकारियों की उदासीनता बनी हुई है। झीलों से कमाई राशि में से करोड़ों रुपए इन पर खर्च बता दिए जाते हैं, लेकिन जो कार्य हो रहे हैं वे निम्न स्तर के हैं। इसका ताजा उदाहरण सीवरेज को लेकर दौर एवं झीलों की सफाई व्यवस्था तक में देखा जा चुका है। इन दिनों पिछोला के अमरकुंड पर विरासत संरक्षण के कार्य किए जा रहे हैं। इसमें सीढि़यों एवं ताकों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इन काम को नजदीक से देखें तो इसमें कई खामियां है। जलरोधी निर्माण नहीं होने से आगामी कुछ ही वर्षों में यह कार्य झीलों के शुद्ध जल में रिसाव का बड़ा कारण बनकर सामने आएगा। यह समस्या शहर के झील प्रेमियों की चिंता को बढ़ा रही है।
यह हो रहा काम
अमरकुण्ड के घाटों पर बनी पुरानी कलात्मक ताकों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इसके लिए विरासत संरक्षण से जुड़ी एजेंसी को ठेका दिया हुआ है लेकिन इस काम के दौरान लगाया जा रहा विशेष प्रकार का मिश्रण हाथ लगाने से खिर रहा है। झील के भरते ही यह निर्माण व्यर्थ हो जाएंगे और इन स्थानों से झील के पानी का लीकेज होगा।
डूब क्षेत्र का अनुभव नहीं
अमरकुंड पर कार्य कर रही एजेंसी के कार्मिको को हवेलियों व अन्य विरासत कालीन इमारतों में कार्य करने का तो अनुभव है, लेकिन पानी में डूब जाने वाली संरचनाओं पर कार्य का अनुभव नहीं है। एेसे में झीलों में पानी भरने के साथ ही इन ताकों के पुन: क्षतिग्रस्त होने तथा खोखले स्थान से स्वच्छ पानी के रिसाव की संभावना है।
पुराने पत्थरों से निर्माण
इन कार्यों के लिए किसी पुरानी इमारत के निकले हुए पत्थरों पर गढ़ाई की जा रही है। ये पत्थर कमजोर हैं। काम करते वक्त भी ये पत्थर टूट रहे हैं। इनको बाजार में आसानी से मिलने वाले केमिकल से चिपकाया जा रहा है। झीलों में पानी भरने और कुछ समय पानी में रहने के साथ ही पत्थर गलना शुरू हो जाएंगे।
काम क्यों बंद नहीं हुआ
झील संरक्षण समिति के संयुक्त सचिव डॉ. अनिल मेहता ने बताया कि यह मुद्दा गत सप्ताह कलक्टर और नगर निगम के अधिकारियों के ध्यान में लाया गया है। इस पर इंजीनियर को मौके भेजा गया। इंजीनियर के सामने कार्य के कंसलटेंट ने कहा कि ठेकेदार को पानी में डूबने वाली विरासत संरक्षण कार्य का अनुभव नहीं है। तब यह तय हुआ कि समस्या को लेकर देशभर में और स्थानीय विशेषज्ञों को मैसेज भेजा जाएगा और सलाह मांगी जाएगी। मैसेज भेजने का काम अभी किया जा रहा है।

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