ऊंठाला के नाम से पहचान बनाने वाले वल्लभनगर में जहां अब तक 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, इनमें से 9 बार कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की है, वहीं भाजपा ने केवल एक बार ही यहां पर खाता खोला है। वर्ष 2003 में भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया ने रणधीर सिंह भींडर को नए चेहरे के रूप में भाजपा में एंट्री दी थी, भाजपा का यह दांव भारी रहा और भींडर चुनाव जीतकर भाजपा कोटे से पहले विधायक बन गए। बाद में कटारिया व भींडर की अनबन जग जाहिर थी। वल्लभनगर में 1952 से लेकर 2018 तक 16 बार चुनाव हुए हैं। जानकार कहते हैंं कि इनमें एक उपचुनाव भी शामिल है। 16 विधानसभा चुनावों में से 8 बार अकेले गुलाब सिंह शक्तावत परिवार यहां से जीता। स्व. गुलाबसिंह 6 बार विधायक रहे और उनके बाद दो बार गजेंद्र सिंह शक्तावत और शुरुआती एक बार हरिप्रसाद कांग्रेस की टिकट पर यहां जीते हैं। वहीं कमलेंद्र सिंह यहां से तीन बार विधायक रहे हैं। कमलेंद्र सिंह (बाठरड़ा) दो बार जनता पार्टी और एक बार जनता दल से विधायक चुने गए हैं। इसके अलावा एक-एक बार जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी व निर्दलीय के तौर पर भींडर ने यहां से जीत दर्ज की है। वर्ष 2013 में भींडर े निर्दलीय चुनाव जीते हैं।
वल्लभनगर विधानसभा एक परिणाम एक नजर में साल———–विधायक—————-पार्टी
1952——-आरएस दिलीपसिंह——– जनसंघ 1957 ——- हरिप्रसाद—————— कांग्रेस
1957—– गुलाब सिंह शक्तावत——– कांग्रेस (उपचुनाव) 1962——-अमृतलाल——————स्वतंत्र पार्टी
1967—- गुलाब सिंह—————– कांग्रेस 1972—–गुलाब सिंह ————— कांग्रेस
1977—कमलेंद्र सिंह———– जनता पार्टी
1980—कमलेंद्र सिंह———– जनता पार्टी
1985—गुलाब सिंह ————कांग्रेस 1990- कमलेंद्र सिंह———– जनता दल
1993– गुलाब सिंह———– कांग्रेस 1998-गुलाब सिंह————-कांग्रेस
2003- रणधीर भींडर———- भाजपा 2008- गजेंद्र सिंह शक्तावत———कांग्रेस
2013–रणधीर भींडर———- निर्दलीय 2018 गजेंद्र सिंह शक्तावत————-कांग्रेस
1985—गुलाब सिंह ————कांग्रेस 1990- कमलेंद्र सिंह———– जनता दल
1993– गुलाब सिंह———– कांग्रेस 1998-गुलाब सिंह————-कांग्रेस
2003- रणधीर भींडर———- भाजपा 2008- गजेंद्र सिंह शक्तावत———कांग्रेस
2013–रणधीर भींडर———- निर्दलीय 2018 गजेंद्र सिंह शक्तावत————-कांग्रेस