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उदयपुर

#PADMAVATI फिल्म को लेकर विश्वराजसिंह मेवाड़ ने जताई ये आपत्ति, कहा सेंसर बोर्ड कहता कुछ है और करता कुछ है

उदयपुर. मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य विश्वराजसिंह मेवाड़ ने प्रसून जोशी को ई-मेल भेजकर आपत्ति दर्ज कराई है।

उदयपुरDec 31, 2017 / 12:54 pm

Ashish Joshi

उदयपुर . विवादित फिल्म पद्मावती की रिलीज पर संशय के बादल अब भी मंडरा रहे हैं क्योंकि बोर्ड की ओर से स्क्रीनिंग के लिए बुलाए गए लोगों ने फिल्म देखने के बाद 25-30 आपत्तियां रख दी हैं।
बोर्ड ने 28 दिसंबर को देशभर से 9 लोगों को बुलाया था, लेकिन 3 ही गए। इनमें पूर्व मेवाड़ राजघराने के सदस्य अरविंद सिंह, इग्नू में इतिहास के प्रो. कपिल कुमार, जयपुर की इतिहासकार चंद्रमणि सिंह थीं। करणी सेना ने कहा है कि जब तक बाकी की सहमति नहीं होती, तब तक रिलीज नहीं होने देेंगे।
विश्वराज सिंह ने जताई आपत्ति, लिखा पत्र
मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य विश्वराजसिंह मेवाड़ ने कुछ बदलावों के बाद फिल्म को रिलीज करने की सूचना पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के प्रसून जोशी को ई-मेल भेजकर आपत्ति दर्ज कराई है। सेंसर बोर्ड के रवैये को उन्होंने अव्यावहारिक और अनैतिक बताया है। मेवाड़ ने अपने पत्र में कहा कि फिल्म के लिए बनाई गई कमेटी की बैठक में उन्हें भी आमंत्रित किया गया था लेकिन वे इस बैठक में शामिल नहीं हुए। न तो उन्होंने और ना ही उनके पिता महेंद्रसिंह मेवाड़ ने ये फिल्म देखी है। ये फिल्म उनके परिवार पर आधारित है।
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ऐसे में जो बदलाव किए जा रहे हैं जैसे फिल्म का नाम परिवर्तन कर देने से घटनाएं, नाम, जगह और जो लोग इस इतिहास से जुड़े थे, नहीं बदलेंगे। वे तथ्य वहीं रहेंगे। बोले-पूर्व में 22 दिसंबर को जो मैंने पत्र लिखा था, उसके प्रश्न अभी तक बरकरार हैं। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने बताया कि सीबीएफसी ने बैठक चुपचाप ही बुलाई है, ऐसे में उनके जाने का सवाल ही नहीं उठता। मुझे बुलाने के लिए फोन जरूर कर रहे थे। चुपचाप बैठक बुलाने से मन में संदेह होता है। सेंसर बोर्ड कहता कुछ है और करता कुछ है।
नाम…
सूत्रों का कहना है कि तीनों ने ही फिल्म में दर्जनों आपत्तियां जताई हैं। फिल्म 1 दिसंबर को रिलीज होनी थी, लेकिन विवादों के चलते रिलीज नहीं हो सकी थी। शनिवार को भी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है कि फिल्म कब रिलीज होगी।
इतिहास और कला दोनों अलग है, ऐतिहासिक कला नाम की कोई चीज नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ठीक है लेकिन इनके नाम पर कुछ भी दिखाना गलत है। फिल्मकार काल्पनिक फिल्म बनाते हैं लेकिन ऐतिहासिक नामों, स्थानों व घटनाओं से खिलवाड़ ठीक नहीं है।
प्रो. कपिल कुमार, इग्नू
शेष 6 लोगों को भी दिखाएं फिल्म
तीन विशेषज्ञों की कमेटी को फिल्म दिखाना सकारात्मक पहल है। सेंसर बोर्ड के सुझाव निर्माता मानेंगे या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। इसलिए अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। सेंसर बोर्ड ने 9 लोगों को बुलाया था और अभी केवल 3 लोगों ने फिल्म देखी है। शेष 6 लोगों को भी फिल्म दिखाई जानी चाहिए। वरना रिलीज नहीं होने देंगे।
-लोकेंद्र सिंह कालवी, करणी सेना

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