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उदयपुर

वीडियो : पॉजीटिव सोच से मेवाड़ में टाइगर लाने का प्रयास करें, टाइगर डे पर उदयपुर में चिंतन

वल्र्ड टाइगर दिवस (world tiger day) पर कार्यशाला

उदयपुरJul 29, 2019 / 11:30 pm

Mukesh Hingar

tiger t 24

वीडियो : पॉजीटिव सोच से मेवाड़ में टाइगर लाने का प्रयास करें, टाइगर डे पर उदयपुर में चिंतन

मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. राजस्थान वानिकी प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक और भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. एन.सी जैन ने कहा कि मेवाड़ में टाइगर पुनर्वास की प्रबलतम संभावनाएं है परंतु आमजनों में टाइगर के प्रति सकारात्मक सोच के विकास के माध्यम से ही यह प्रयास सफल होंगे।
वे सोमवार को उदयपुर के सूचना केन्द्र में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में इंटरनेशनल टाइगर डे (world tiger day) के मौके पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में स्थानीय वनस्पति में तेजी से विनाश हो रहा है और इससे खाद्य श्रृंखला प्रभावित हो रही है। इसका दुष्प्रभाव वन्यजीवों पर हो रहा है ऐसी स्थिति में यहां से विदेशी खरपतवार को हटाने और स्थानीय वनस्पति को पनपाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आमजनों को वनों और वन्यजीवों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण जागृत करना होगा वहीं यह भी अहसास कराना होगा कि ये उनके लिए बड़े लाभदायक हैं। जैन ने जनजागृति में मीडिया को अपनी सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आह्वान किया।
टाइगर के लिए मुफिद है मेवाड़ : भटनागर
अध्यक्षता करते हुए सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर ने कहा कि मेवाड़ पूर्ण रूप से टाइगर के पुनर्वास के लिए मुफिद है और हाल ही में सरकार ने टाइगर के पुनर्वास के लिए वैकल्पिक स्थानों के चयन की घोषणा की है ऐसे में वन विभाग द्वारा पूर्व में भेजे गए कुंभलगढ़ और रावली टाडगढ़ क्षेत्र के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है, यह सराहनीय प्रयास है।
भोजन उपलब्ध हो तो एक साथ कई टाइगर बस सकते हैं : शेखावत
राजस्थान टाइगर प्रोजेक्ट से जुड़े टाइगर एक्सपर्ट रघुवीरसिंह शेखावत ने सरिस्का अभयारण्य के अनुभवों के आधार पर कहा कि 75 से 100 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र 10 टाइगर के लिए उपयुक्त होगा यदि उसमें पर्याप्त मात्रा में उचित भोजन की उपलब्धता हो। उन्होंने इसके लिए हमारे मॉनिटरिंग सिस्टम को तकनीकी रूप से अत्यधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता भी प्रतिपादित की। शेखावत ने कहा कि एलपीजी के कारण जंगलों के विनाश को रोकने में मदद मिली है। कार्यशाला को संबोधित करते हुए राजसमंद के उप वन संरक्षक फतहसिंह राठौड़ ने कहा कि मेवाड़ क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से मुकुन्दरा हिल से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, होटेलियर्स और प्रबुद्धजनों के समन्वित प्रयासों से कुंभलगढ़ में टाइगर का पुनर्वास किया जा सकता है। इस दौरान उन्होंने वन विभाग द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। कार्यशाला में रिटायर्ड डीएफओ वी.एस राणा, प्रतापसिंह चैहान, लायक अली खान, वन्यजीव विशेषज्ञ प्रदीप सुखवाल, देवेन्द्र मिस्त्री, अनिल रोजर्स, विनय दवे, प्रदीप कौशिक, प्रीति मुर्डिया, पुष्पा खमेसरा, विश्वप्रतापसिंह चुण्डावत, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अरुण सोनी व जनसंपर्क उपनिदेशक कमलेश शर्मा भी अपनी बात रखी।
ये बोले विशेषज्ञ
– वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. सतीश शर्मा : वन्यजीवों के विनाश और संरक्षण की कालावधि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने शाकाहारी जीवों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि के बाद ही टाइगर का पुनर्वास संभव है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ बताते हैं कि जयसमंद में सांभर की संख्या इतनी अधिक थी कि मार्ग से गुजरना मुश्किल होता था।
– राजपूताना सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक डॉ. एस.पी मेहरा : वन क्षेत्र में जल संरक्षण कार्यों की आवश्यकता जताई और कहा कि इससे वन्यजीवों का संरक्षण भी हो पाएगा।
– रिटायर्ड उप वन संरक्षक राजेन्द्रसिंह चैहान : रणथंभोर में कार्यअनुभवों के आधार पर कहा कि टाइगर एकांत पसंद होता है और वन्यक्षेत्र में चैपायों के विचरण से टाइगर की वश्ंावृद्धि प्रभावित हो सकती है।
– पर्यावरणप्रेमी डॉ. एकलिंगनाथ झाला : पर्यावरण विषयक पेंटिंग प्रतियोगिताओं के चित्रों को विभिन्न होटलों में लगवाने के लिए उपलब्ध कराए जाए और इसके बदले में होटलों से निश्चित राशि पर्यावरण संरक्षण कार्यों के लिए उपलब्ध कराई जाए।

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