अध्यक्षता करते हुए सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर ने कहा कि मेवाड़ पूर्ण रूप से टाइगर के पुनर्वास के लिए मुफिद है और हाल ही में सरकार ने टाइगर के पुनर्वास के लिए वैकल्पिक स्थानों के चयन की घोषणा की है ऐसे में वन विभाग द्वारा पूर्व में भेजे गए कुंभलगढ़ और रावली टाडगढ़ क्षेत्र के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है, यह सराहनीय प्रयास है।
राजस्थान टाइगर प्रोजेक्ट से जुड़े टाइगर एक्सपर्ट रघुवीरसिंह शेखावत ने सरिस्का अभयारण्य के अनुभवों के आधार पर कहा कि 75 से 100 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र 10 टाइगर के लिए उपयुक्त होगा यदि उसमें पर्याप्त मात्रा में उचित भोजन की उपलब्धता हो। उन्होंने इसके लिए हमारे मॉनिटरिंग सिस्टम को तकनीकी रूप से अत्यधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता भी प्रतिपादित की। शेखावत ने कहा कि एलपीजी के कारण जंगलों के विनाश को रोकने में मदद मिली है। कार्यशाला को संबोधित करते हुए राजसमंद के उप वन संरक्षक फतहसिंह राठौड़ ने कहा कि मेवाड़ क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से मुकुन्दरा हिल से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, होटेलियर्स और प्रबुद्धजनों के समन्वित प्रयासों से कुंभलगढ़ में टाइगर का पुनर्वास किया जा सकता है। इस दौरान उन्होंने वन विभाग द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। कार्यशाला में रिटायर्ड डीएफओ वी.एस राणा, प्रतापसिंह चैहान, लायक अली खान, वन्यजीव विशेषज्ञ प्रदीप सुखवाल, देवेन्द्र मिस्त्री, अनिल रोजर्स, विनय दवे, प्रदीप कौशिक, प्रीति मुर्डिया, पुष्पा खमेसरा, विश्वप्रतापसिंह चुण्डावत, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अरुण सोनी व जनसंपर्क उपनिदेशक कमलेश शर्मा भी अपनी बात रखी।
– वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. सतीश शर्मा : वन्यजीवों के विनाश और संरक्षण की कालावधि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने शाकाहारी जीवों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि के बाद ही टाइगर का पुनर्वास संभव है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ बताते हैं कि जयसमंद में सांभर की संख्या इतनी अधिक थी कि मार्ग से गुजरना मुश्किल होता था।
– राजपूताना सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक डॉ. एस.पी मेहरा : वन क्षेत्र में जल संरक्षण कार्यों की आवश्यकता जताई और कहा कि इससे वन्यजीवों का संरक्षण भी हो पाएगा।
– रिटायर्ड उप वन संरक्षक राजेन्द्रसिंह चैहान : रणथंभोर में कार्यअनुभवों के आधार पर कहा कि टाइगर एकांत पसंद होता है और वन्यक्षेत्र में चैपायों के विचरण से टाइगर की वश्ंावृद्धि प्रभावित हो सकती है।
– पर्यावरणप्रेमी डॉ. एकलिंगनाथ झाला : पर्यावरण विषयक पेंटिंग प्रतियोगिताओं के चित्रों को विभिन्न होटलों में लगवाने के लिए उपलब्ध कराए जाए और इसके बदले में होटलों से निश्चित राशि पर्यावरण संरक्षण कार्यों के लिए उपलब्ध कराई जाए।