बाबा ने कहा कि जीवन में कई उतार चढ़ाव आते हैं। पैसा, शोहरत, मान-सम्मान कम ज्यादा हो सकता है, लेकिन संन्यासी जीवन की सीढ़ी जिस तरफ बढ़ती है, उसमें कई चमत्कार देखने को मिलते हैं। इस जीवन में वो शोहरत मिलती है, जो आधुनिक जीवन में नहीं मिल सकती है। मनुष्य अगर भगवान से साक्षात्कार होना चाहता है तो उसे आधुनिक दुनिया को छोड़ संन्यासी जीवन अपनाकर गुरु की भक्ति और देव की तपस्या करना पड़ती है। वर्षों की तपस्या साधना के बाद एक दिन ऐसा आता है जब भगवान का मनुष्य से साक्षात्कार हो जाता है।