scriptकोर्ट की दखल के बाद ऋतुबाला बनीं रीतदर्शना | After the intervention of the court, the rituals of Rishubala | Patrika News
उज्जैन

कोर्ट की दखल के बाद ऋतुबाला बनीं रीतदर्शना

महिला के पति ने एडीजे में लगाई थी याचिका

उज्जैनApr 22, 2018 / 11:38 pm

Lalit Saxena

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नागदा. ऋतुबाला के जैन दीक्षा लेने के मामले में रोक लगाने की याचिका एडीजे कोर्ट ने २० अप्रैल को खारिज कर दी है। याचिका खारिज होने के बाद रविवार को ऋतुबाला अब जैन रीतदर्शना श्रीजी मसा के नाम से जाना जाएगी। बता दें, कि बीते १२ फरवरी को ऋतु के पति भेरुलाल कुमावत ने जैन समाज को महिला का वर घोड़ा निकालने की मनाही करते हुए कोर्ट से नोटिस दिलवाया गया था। जिसके बाद महिला की इच्छानुसार १२ अप्रैल को ऋतु का वरघोड़ा समारोह पूर्वक निकाला गया और २२ अप्रैल को गुजरात के पालीताणा में साध्वी के रुप में दीक्षा लेना तय हुआ। जिसके बाद रविवार को ऋतु ने पालीताणा गुजरात में दीक्षा लेकर रीतदर्शना मसा के रुप में साध्वी का जीवन अपना लिया। ऋतु के पति ने १९ अप्रैल को दीक्षा समारोह में शामिल नहीं होने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था।
तीन वर्षों से कर रही है नवकार जाप
ऋतुबाला बीते ३ वर्षों से नवकार मंत्रों का जाप कर रही है। जिसकी प्रेरणा डॉ. प्रीति मसा के सानिध्य में इंदौर, उज्जैन, निंबाहेड़ा आदि स्थानों पर प्रवचन सुनने के बाद प्रभावित होकर किया। ऋतुबाला का कुछ वर्ष पूर्व पारिवारिक कारणों के चलते तलाक हो चुका है। साध्वी डॉ. प्रीति दर्शना के सानिध्य में आने के बाद, वह साध्वी के संयमित जीवन से इतना प्रभावित हुई, कि वह स्वयं सांसारिक जीवन को त्यागकर, तप त्याग की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया है। ऋतुबाला ने अब तक एक मासभक्षण, एक सिद्धी तप, धार्मिक शिक्षा, पंच पतिक्रमण एवं पखी सूत्र का अध्ययन कर चुकी है।
कोर्ट में चल रहा था तलाक का केस
भेरूलाल कुमावत के वकील कमल मालवीय के अनुसार दोनों पक्षकार ने पत्नी के नाम पर अचल संपतियां खरीदी थीं, जिसे उसने माता-पिता के बहकावें में आकर बेच दिया और रुपए स्वयं रख लिए। महिला के पति द्वारा जब रुपयों के हिसाब के बारे में पूछा गया, तो विवाह विच्छेद का वाद दायर किया गया। वकील मालवीय के अनुसार दीक्षा के फैसले से विवाह विच्छेद के केस पर फर्क नहीं पड़ेगा। दीक्षार्थी ऋतुबाला के दीक्षा पर उनके पूर्वपति व बेटे ने आपत्ति दर्ज कराते हुए जैन श्रीसंघ अध्यक्ष सुनील वागरेचा को अपने वकील के माध्यम से नोटिस भेजा था। जिसमें ऋतुबाला व उनके बीच तलाक को लेकर चल रहे उपरी न्यायालय का हवाला देते हुए फैसला आने तक दीक्षा कार्यक्रम पर रोक लगाने की बात कही थी।

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