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उज्जैन

महाकाल मंदिर में मर्यादा के विरुद्ध कपड़े पहनकर आने पर लग सकती है रोक !

सोला पहनने की अनिवार्यता खत्म करने के विचार का विरोध….

उज्जैनJun 26, 2022 / 12:25 pm

Ashtha Awasthi

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उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में सोला-धोती (ड्रेसकोड) की अनिवार्यता को खत्म करने, नियम में परिवर्तन करने के विचार पर तो लोग सहमत हो रहे हैं, लेकिन आधुनिक वस्त्रों के कारण मंदिर की मर्यादा भंग होती है, इस विचारधारा को लेकर विरोध भी बना हुआ है।

इंदिरा नगर वार्ड 5 के अध्यक्ष मंगेश श्रीवास्तव ने कहा कि महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं के जींस, बरमुडा, टी शर्ट आदि आपत्तिजनक वस्त्र पहनकर आने पर रोक लगाई जाना चाहिए। उज्जैन धार्मिक नगरी है, इसमें सभी देवी देवताओं का निवास है। मंदिरों के गर्भगृह में जाने पर ऐसे युवक-युवतियों पर रोक लगाई जाए, जो मर्यादा के विरुद्ध कपड़े पहनकर आते हैं। इन्होंने भारतीय संस्कृति को ताक में रख दिया है।

अभी है ये नियम : गर्भगृह में प्रवेश बंद के दौरान 1500 की रसीद पर गर्भगृह में जाने वाले केवल दो श्रद्धालुओं को ड्रेस कोड का पालन करना होता है। मंदिर समिति अब त्रिकाल पूजन और आरती के दौरान ही सोला अनिवार्य करने और अन्य समय बिना सोला धारण करे गर्भगृह में प्रवेश देने पर विचार कर रही है। पुरुष के लिए सोला और महिला के लिए साड़ी-ब्लाउज ड्रेस कोड में ही प्रवेश दिया जाता है। ऐसे में अब मंदिर समिति विचार कर रही है कि सोला धारण करने का नियम भगवान की तीन समय होने वाली त्रिकाल पूजन और आरती के दौरान ही रहे। इसके अलावा अन्य समय में टिकट लेकर गर्भगृह में जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए सोला पहनने की अनिवार्यता नहीं रहे।

महाकाल मंदिर में टैंकर से जाने वाली पाइप लाइन की दिशा बदली

राजाधिराज भगवान महाकाल के दरबार में चल रहे उत्तम बारिश की कामना को लेकर महानुष्ठान के लिए सतत जलधारा को प्रवाहमान किया जाता है, इसके लिए मंदिर समिति ने दुग्ध संघ से टैंकर मंगवाया और उससे पाइप लाइन जोडक़र सीधे गर्भगृह तक ले जाया गया। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते उस पाइप लाइन पर कई श्रद्धालुओं के पैर लग रहे थे। इसे लेकर पत्रिका ने खबर प्रकाशित की थी, जिसका असर यह हुआ कि दूसरे ही दिन मंदिर प्रशासन को पाइप लाइन की दिशा बदल दी, जिससे जल पाइप लाइन को पैर न लगे।

मंदिर परिसर के निर्माल्य गेट की तरफ जहां टैंकर खड़ा रहता था, उस स्थान से पाइप लाइन को बांस के परकोटे से बांधकर धरातल से ऊंचा कर दिया गया है, ताकि निकलने वालों के पैर पाइप से नहीं टकराएं। इसके आगे चलने पर इसी पाइप को आपातकालीन गेट से अंदर की तरफ ले जाकर जहां पालकी रखी रहती है, वहां से काला गेट की तरफ मोड़ दिया गया। इसके आगे काले गेट से निकालकर जलद्वार से होते हुए पाइप को गर्भगृह तक ले जाया गया है। इस व्यवस्था से पाइप लाइन के माध्यम से शुद्ध आरओ का जल बाबा पर बिना किसी के पैरों से टकराए हुए प्रवाहित हो रहा है।

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