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आंसू बहा रहे किसानों का छलका दर्द, न बेटी का ब्याह रचा पाएंगे, न चुका पाएंगे कर्ज

Ujjain News: लगातार बारिश के चलते किसानों के सारे सपने चकनाचूर हो गए। दीपावली का त्योहार सामने है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के घरों में सन्नाटा पसरा पड़ा है।

उज्जैनOct 15, 2019 / 10:21 pm

Lalit Saxena

Farmers expressed their pain

Ujjain News: लगातार बारिश के चलते किसानों के सारे सपने चकनाचूर हो गए। दीपावली का त्योहार सामने है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के घरों में सन्नाटा पसरा पड़ा है।

उज्जैन. अब न बेटी का ब्याह रचा पाएंगे, न कर्ज चुका पाने की हिम्मत बची है। लगातार बारिश के चलते किसानों के सारे सपने चकनाचूर हो गए। दीपावली का त्योहार सामने है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के घरों में सन्नाटा पसरा पड़ा है। वे बच्चों के साथ बैठकर उनके खेल देखकर अपना दर्द भुलाने का प्रयास कर रहे हैं। महिलाएं भी जो थोड़ी-बहुत फसल घर-आंगन तक पहुंची है, उसकी साफ-सफाई में जुटी हैं, इस उम्मीद में कि इससे जो कुछ भी मिलेगा उससे कम से कम त्योहार तो मना ही लेंगे।

बारिश ने किसानों के मुंह से निवाला छीन लिया

इस बार की जोरदार बारिश ने किसानों के मुंह से निवाला छीन लिया। बड़े किसान तो जैसे-तैसे अपना काम चला लेंगे, लेकिन छोटे किसानों के आंसू रुक नहीं पा रहे। उन्होंने सोयाबीन की फसल से जो उम्मीद लगा रखी थी, वे धराशायी हो गई। शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर आगर रोड पर गांव सुरासा है, जहां के किसानों ने अपना दर्द बयां किया। चारों ओर लहलहाते खेत देखने वाली आंखों में लहू उतर आया है। कर्ज में गले-गले डूबे किसानों ने अपना दर्द बयां किया और बोले कि हमने जो पिछली फसल के लिए कर्ज लिया था, उसे ही चुकाने में परेशानी आ रही है। आगे की फसल के लिए फिर से कौन कर्ज देगा। ब्याह लायक बेटियों के हाथ पीले करने हैं, बड़े बच्चों की स्कूल फीस बाकी है, नया बीज लाना है, फिर से खेत तैयार करने के लिए मजदूरों को तलाशना है, जो कुछ सोयाबीन आई है, उसे मंडी पहुंचाना है। कई सारे काम के बीच सामने दीपावली का त्योहार भी कैसे मनाएंगे, यह सोच-सोचकर कलेजा मुंह को आ रहा है। किसान ही खुश नहीं होंगे, तो शहर के बाजारों में भी रोशनी फीकी नजर आएगी।

सोयाबीन का दाना छोटा और काला पड़ गया
ग्राम सुरासा के भूतपूर्व सरपंच केसरसिंह पटेल और पंचायत सदस्य रुगनाथ ने बताया तीन बीघा जमीन से केवल एक बीघा की सोयाबीन अच्छी निकली है। बाकी का दाना छोटा और काला पड़ गया है। जिससे बाजार में उसकी वह कीमत नहीं मिल रही, जितनी की उम्मीद थी, पानी से सब खराब हो गई हमारी फसल। पटवारी वीरेश उपाध्याय ने आकर सर्वे भी किया, लेकिन मुआवजा कितना और कब मिलेगा, इसकी कोई उम्मीद नहीं। हमें प्रति बीघा के हिसाब से 6 हजार का मुआवजा मिलना चाहिए।

फूलों पर भी बारिश की मार
गांव के ही किसान तोलाराम आंजना ने बताया कि लगातार हुई बारिश ने जहां सभी किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया है, वहीं गुलाब की खेती भी प्रभावित हुई है। अधिक बारिश के कारण फूलों के पत्ते खिर गए और पौधे गल गए। इस वजह से नवरात्रि में गुलाब की बंपर आवक नहीं हुई।

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