दिव्यांग दर्शनार्थियों के लिए
दिव्यांग दर्शनार्थियों के लिए व्हीलचेयर और सहायकों की व्यवस्था की जाएगी। यह जानकारी महाशिवरात्रि को लेकर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में दी गई। मंदिर समिति अध्यक्ष और कलेक्टर संकेत भोंडवे, प्रशासक अवधेश शर्मा ने बताया कि महाकालेश्वर मन्दिर में महाशिवरात्रि पर्व की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। दर्शनार्थियों को महाकाल बाबा के कम समय में दर्शन लाभ हो, इसके लिए दर्शन के प्रबंध किए जाएंगे। मंदिर समिति, प्रशासन और पुलिस सभी लोगों को श्रद्धानुसार सुविधा और सुरक्षा प्रदान कर दर्शन के इंतजाम करेंगे। इसे लेकर कार्ययोजना भी बना ली है। मंदिर परिसर में चार द्वार से प्रवेश दिया जाएगा। श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था नन्दी हॉल के पीछे आठ रेलिंगों से रहेगी।
मन्दिर के आसपास नो व्हीकल जोन
मन्दिर के आसपास नो व्हीकल जोन रहेगा।
पार्र्किंग व्यवस्था चारधाम मंदिर नूतन स्कूल, नृसिंह घाट की ओर तथा कार्तिक मेला ग्राउंड पर रहेगी।
वीआईपी वाहन पार्र्किंग की महाकालेश्वर भक्त निवास के पीछे रहेगी।
दिव्यांग दर्शनार्थियों के पार्र्किंग स्थल से मंदिर तक जाने के लिए व्हीलचेयर और सहायकों की व्यवस्था होगी।
अस्थायी अतिक्रमण को हटाने के लिए मोबाइल गैंग सतत् सक्रिय होगी।
महाशिवरात्रि पर २५१ रु. के सशुल्क दर्शन पास विक्रय के लिए अलग-अलग स्थानों पर लगाए जाएंगे।
महाकाल का घटाटोप शृंगार…
उज्जैन. महाकाल मंदिर में चल रहे शिवनवरात्रि उत्सव में तीसरे दिन बुधवार को भगवान महाकाल का घटाटोप शृंगार किया गया। सुबह मंदिर के नैवेद्य कक्ष में चंद्रमौलेश्वर का एवं कोटितीर्थ कुंड पर कोटेश्वर महादेव का अभिषेक-पूजन कर 11 ब्राह्मणों ने गर्भगृह में एकादश- एकादशनि लघुरुद्र पाठ किया। दोपहर में भोग आरती की गई। इसके बाद शाम 5 बजे की संध्या पूजा दोपहर में की गई।
पूजन के बाद बाबा महाकालेश्वर को नवीन केसरिया रंग के वस्त्र धारण करवाए गए। इसके अतिरिक्त मुकुट, मुंड माला, फलों की माला एवं कमल के फूलों की माला धारण कराई गई। शिवनवरात्रि के चौथे दिन गुरुवार को भगवान महाकाल छबीना स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगे।
हरिकीर्तन : महाकालेश्वर मंदिर प्रागंण में शिवनवरात्रि के तीसरे दिन भी रमेश कानड़कर द्वारा शिव कथा कर गौड़ बंगाल के राजा गोपीचन्द्र की माता मेनावती की ओर से बाबा जालंधर नाथ को अपना गुरु बनाने की कथा का वर्णन भक्तों को सुनाया। यह कथा मंदिर परिसर स्थित नवग्रह मंदिर के समीप संगमरमर के ओटले पर भक्तों को सुनाई। कथा के दौरान तबले पर संगत तुलसीराम कार्तिकेय ने दी।