दानदाता गीता ताम्रकार द्वारा मंदिर की व्यवस्था व साफ-सफाई को सराहा गया। प्रशासक रावत ने उन्हें मंदिर की योजनाओं के विषय में जानकारी दी। इस मौके पर मंदिर प्रबंध समिति सदस्य आशीष पुजारी, पुरोहित समिति के अध्यक्ष अशोक शर्मा, राजेश पुजारी, पुजारी प्रदीप गुरु, विजय पुजारी आदि उपस्थित थे। दानदाता गीता ताम्रकार द्वारा उनके सागर स्थित संपत्ति का स्वामित्व उनके पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान के नाम करने घोषणा की गई है। इस संबंध में जल्द ही उनके द्वारा वसीयतनामा श्री महाकालेश्वर भगवान को अर्पित किया जाएगा।
दान के माध्यम से संचालित होती हैं व्यवस्थाएं
बता दें कि मंदिर की सभी व्यवस्थाएं दान के माध्यम से ही संचालित होती हैं। महाकाल मंदिर में भक्त अपनी इच्छा व मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धानुसार वस्तु, रुपए आदि भेंट अर्पित करते हैं। साथ ही मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित नि:शुल्क अन्नक्षेत्र, गौशाला आदि में भी श्रद्धानुसार दान करते हैं। समय-समय पर मंदिर के अधिकारी, पुजारी-पुरोहितों व सदस्यों-कर्मचारियों द्वारा भी भक्तों को मंदिर में दान के लिए प्रेरित किया जाता है।