उज्जैन में गुरुवार सुबह से ही क्षिप्रा के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। लोग स्नान करने उमड़े। कोरोना काल के चलते हालांकि थोड़ी भीड़ कम देखी गई, लेकिन प्रशासन भी कोरोना की गाइडलाइन का पालन करवाता नजर आया। इस मौके पर पोहे जलेबी के स्टाल लगाए गए थे। लोगों ने दानपुण्य किए। कुछ लोगों ने पतंग का वितरण भी किया।
मकर संक्रांति पर्व पर उज्जैन में क्षिप्रा नदी में आज के दिन स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय अमृत की बूंद इस नदी के रामघाट पर गिरी थी। यही वजह है कि क्षिप्रा को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है। अपने वनवास के दौरान भगवान श्रीराम और लक्ष्मण ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान भी रामघाट पर किया था। ऐसा भी माना जाता है कि इस स्थान पर स्नान करने से सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।