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उज्जैन

एलइडी ही नहीं कंसल्टेंट के टेंडर में भी बड़ा खेल

एक ही व्यक्ति ने भर दिए कंसल्टेंट के दो टेंडर, निगम ने स्वीकृत कर दिए , इओडब्ल्यू से की फर्जी दस्तावेज के साथ शिकायत

उज्जैनOct 13, 2019 / 12:25 am

rishi jaiswal

एलइडी ही नहीं कंसल्टेंट के टेंडर में भी बड़ा खेल

एक ही व्यक्ति ने भर दिए कंसल्टेंट के दो टेंडर, निगम ने स्वीकृत कर दिए , इओडब्ल्यू से की फर्जी दस्तावेज के साथ शिकायत

उज्जैन. सिंहस्थ २०१६ के दौरान मेला क्षेत्र में लगी एलइडी लाइट की संख्या में ही गड़बड़ी नहीं हुई बल्कि इसके लिए कंसल्टेंट के टेंडर में भी धांधली हुई थी। यहां एक ही व्यक्ति ने अलग-अलग नाम से दो कंसल्टेंट के टेंडर जमा किए। इनमें से एक को अधिकारियों ने स्वीकृति दे दी। जबकि दोनों ही टेंडर एक ही राइटिंग में भरे गए हैं। आशंका है कि कंसल्टेंट के टेंडर स्वीकृति में भी अधिकारियों और कंसल्टेंड के बीच सांठगांठ हुई और इसे अंतिम रूप दिया गया।
आर्थिक अपराध अनुसंधान (इओडब्ल्यू) ने हाल ही में सिंहस्थ में लगी एलइडी लाइट घोटाले पर प्रकरण दर्ज किया है। इसी के साथ इस टेंडर हुई अनियमितताएं भी सामने आने लगी हैं। एलइडी लाइट के टेंडर से पहले कंसल्टेंट के टेंडर में गड़बड़ी होने के दस्तावेज इओडब्ल्यू के पास पहुंचे हैं। इसमें बताया गया है कि एक ही व्यक्ति ने कंसल्टेंट के दो टेंडर भरे। दोनों टेंडर में भरी जानकारी एक जैसी हेडराइटिंग की है। चूंकि एक टेंडर भरने में इसे निरस्त किया जा सकता है लिहाजा अधिकारियों के साथ साठगांठ कर डमी टेंडर भरा गया है। आरोप है कि जिस व्यक्ति के नाम से डमी टेंडर भरा गया है उसे भी इसकी जानकारी नहीं है। उसके भी नकली हस्ताक्षर कर दिए गए हैं। दरअसल सिंहस्थ के दौरान किसी भी खरीदी के लिए कंसल्टेंट नियुक्ति करने की प्रक्रिया रखी गई थी।
कंसल्टेंट ही टेंडर के लिए डीपीआर तैयार करता था। डीपीआर में सामान की खरीदी, नियम कायदे सहित अन्य जानकारियां तय की जाती। डीपीआर के मुताबिक ही टेंडर जारी किया जाता था। आशंका है कि एलइडी के टेंडर में भी गड़बड़ी करने के इरादे से कंसल्टेंट भी अधिकारियों ने अपनी पसंद का चुना। ताकि किसी तरह की धांधली में कोई सवाल नहीं उठा सके।
आरटीआई में नहीं दे रहे जानकारी
एलइडी घोटाले से जुड़ी अन्य जानकारी भी सूचना के अधिकार के तहत निगम नहीं दे रहा है। शिकायतकर्ता आशीष यादव के मुताबिक सिंहस्थ में जिस व्यक्ति को कंसल्टेंट का काम सौंपा उसे स्मार्ट सिटी में भी काम दिया गया है। इसमें भी बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई है। स्मार्ट सिटी भी आरटीआई से मांगी जानकारी लेकिन उपलब्ध नहीं करवा जा रही है।
कंसल्टेंट के टेंडर में ये गड़बडिय़ां
२२ करोड़ के टेंडर मेें कंसल्टेंट फीस महज २ लाख रुपए रखी। जबकि सिंहस्थ के दौरान निकले अन्य टेंडरों में कंसल्टेंट फीस टेंडर कीमत का एक फीसदी रखी गई। इसी टेंडर में कम रखी गई।
कंसल्टेंट फीस महज दो लाख रुपए रखने के पीछे वजह है कि बड़ी राशि के टेंडर का विज्ञापन बड़े अखबारों और प्रदेश स्तर पर प्रकाशित करना होता। दो लाख के टेंडर को स्थानीय स्तर पर ही प्रकाशित करवा लिया, ताकि इसकी जानकारी नहीं पहुंचे।
दोनों टेंडरों में एक जैसी ही राइटिंग में भरे गए हैं। सर्वाधिक रेट वाला दूसरा टेंडर भरने वाले व्यक्ति को इसकी जानकारी नहीं है। हस्ताक्षर भी नकली है।
दो लाख के टेंडर में एक ने २.२० तो दूसरे १.९५ लाख रुपए की राशि भरी। जबकि २ लाख के टेंडर में कोई भी दो लाख से ज्यादा राशि नहीं भरता।

&सिंहस्थ में एलइडी टेंडर के लिए कंसल्टेंट के टेंडर में गड़बड़ी हुई है। एक ही व्यक्ति ने दोनों टेंडर भरे, इनमें एक जैसी राइटिंग है। दूसरे टेंडर भरने वाले व्यक्ति को इसकी जानकारी तक नहीं है। हमने इओडब्ल्यू में मय दस्तावेज के शिकायत करते हुए जांच की मांग की है।
आशीष यादव, शिकायतकर्ता
&सिंहस्थ में खरीदी एलइडी लाइट की गड़बडिय़ों की जांच जारी है। इसमें जो भी मामले सामने आएंगे उनकी भी जांच की जाएगी।
राजेश रघुवंशी, एसपी इओडब्ल्यू
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