ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि पंचांगीय गणनानुसार 9 ग्रहों में राहू-केतु ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे, जिसमें वर्तमान में राहू का मिथुन में परिभ्रमण कर रहा है। राहू 22 सितंबर के बाद रात 2.58 पर वृषभ में प्रवेश करेंगे व केतु वर्तमान में धनु में हैं, ये भी 22 के बाद रात 2.58 के बाद वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। कोरोना के चलते इस परिवर्तन पर सभी ज्योतिषियों की भी नजर बनी हुई है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि कोरोना महामारी अपने खात्मे की तरफ बढ़ने लगेगी।
दोनों ही हैं छाया ग्रह :-:
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये दोनों ही छाया ग्रह कहलाते हैं। इनका सामान्यत: कोई विशिष्ट प्रभाव नहीं होता, किंतु इनके बारे में कहा गया है कि ये जिस राशि में होते हैं, उसकी प्रकृति को स्वीकार कर लेते हैं। 22 व 23 तारीख में जब राहू शुक्र की राशि वृषभ में प्रवेश करेंगे तथा केतु मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे, तो राशि संबंध के अनुसार देखें, तो इनका राशिगत सम-सप्तक दृष्टि संबंध होगा। साथ ही अन्य ग्रहों की बात करें, तो शनि व गुरु का राहू से नवम-पंचम दृष्टि संबंध बनेगा। साथ ही अन्य ग्रहों के अंतर्गत देखें, तो राहू जिस राशि वृषभ में परिभ्रमण करेंगे, उसका अधिपति शुक्र, कर्क राशि में रहेगा। यह परिभ्रमण की स्थितियां हैं, इनके दृष्टि संबंध तथा कारक राशि का दिशा से संबंध घटनाक्रम में अलग-अलग प्रभाव से उलटफेर कराएगा।
गुप्त व प्रकट राजनीति का कारक है राहू :-:
राहू को गुप्त व प्रकट राजनीति का कारक ग्रह बताया गया है। इस दृष्टि से राजनीति के क्षेत्र में परिवर्तन तथा महिलाओं की भूमिका अग्रिम तौर से होगी। साथ ही केतु का मंगल की राशि में होना, इन संसाधनों में उच्चतम तकनीकि वाले आयुधों का आने का क्रम दर्शाता है, अर्थात भारतीय सैन्य क्षमता में बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही शनि-गुरु का मकर राशि में मार्गीय अनुक्रम द्वारा जो नवम-पंचम का दृष्टि संबंध बनेगा, वह चिकित्सा, अंतरिक्ष व कृषि विज्ञान से जुड़े क्षेत्रों में आधुनिक संयंत्र के साथ प्रगतिकारक रहेगा। वर्तमान में उपस्थित कोविड-19 की स्थिति में अचानक से परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
यह रहेगा राशियों पर प्रभाव