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उज्जैन

स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि : उनकी हंसी और विचार से हर कोई बन जाता था उनका अपना

भारत मां के परम आराधक, निवृत्त-जगदगुरु शंकराचार्य, पद्मभूषण पूज्य गुरुदेव स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि का मंगलवार को देवलोकगमन हो गया।

उज्जैनJun 25, 2019 / 10:39 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. भारत मां के परम आराधक, निवृत्त-जगदगुरु शंकराचार्य, पद्मभूषण पूज्य गुरुदेव स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि का मंगलवार को देवलोकगमन हो गया। वे अपना भौतिक शरीर त्यागकर ब्रह्मलीन हो गए। बुधवार को भारतमाता जनहित ट्रस्ट के राघव कुटीर हरिद्वार में उन्हें समाधिष्ट किया जाएगा। उज्जैन से उनका गहरा लगाव था, वे यहां अक्सर आते थे। उनकी निश्च्छल हंसी और उत्तम विचारों से हर कोई उनका, अपना सा बन जाता था।

दो माह पहले स्वामी दिव्यानंद और अब गुरुदेव का महाप्रयाण

संत डॉ अवधेशपुरी परमहंस ने बताया कि करीब दो माह पहले स्वामी दिव्यानंद और अब गुरुदेव का महाप्रयाण हो गया। दोनों बड़े संत एक ही पीठ के थे। कई कार्यक्रमों में मुझे उनके साथ रहने का सौभाग्य मिला। मानवतावादी और समन्वयवादी विचारधारा वाले व्यक्तित्व थे। उनके जाने से संत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। 2004 और 2016 के सिंहस्थ में उन्होंने सफाई कर्मियों के साथ स्नान किया। पूज्यश्री बाल्यावस्था से ही अध्ययनशील, चिंतक और निस्पृही व्यक्तित्व के धनी थे। उनके पिताश्री राष्ट्रपति सम्मानित शिक्षक शिवशंकर पांडेय ने उन्हें सदैव अपने लक्ष्य के प्रति सजग और सक्रिय बने रहने की प्रेरणा दी। महामंडलेश्वर स्वामी वेदव्यासानंदसे उन्हें सत्यमित्र ब्रह्मचारी नाम मिला और साधना के विविध सोपान भी प्राप्त हुए।

चारधाम मंदिर की आधारशिला उन्होंने ही रखी थी

उज्जैन चारधाम मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानंद ने उनके देवलोकगमन पर संवेदना व्यक्त की और कहा मैं समाधि कार्यक्रम में शामिल होने हरिद्वार जा रहा हूं। चारधाम मंदिर की आधारशिला उन्होंने ही रखी थी, भूमिपूजन में भी शामिल हुए थे और हमें एक लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी थी। जब-जब बुलाया, वे आए। भानपुरा क्षेत्र में उन्होंने निर्धन लोगों के उत्थान की दिशा में अनेक कार्य किए। हाल ही में हरिद्वार में देश के शीर्ष संतों को भारत माता मंदिर में आमंत्रित किया गया था। प्रमुख संतों ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला। स्वामीजी ने 1969 में स्वयं को शंकराचार्य पद से मुक्त कर गंगा में दंड का विसर्जन कर दिया और केवल परिव्राजक संन्यासी के रूप में देश-विदेश में भारतीय संस्कृति व अध्यात्म के प्रचार-प्रसार में संलग्न थे।

गुरुभक्त आज करेंगे श्रद्धांजलि अर्पित
समन्वय सेवा ट्रस्ट के सचिव महेश कानड़ी ने बताया कि पूज्य गुरुवर को 26 जून शाम 7 से 7.30 बजे शर्मा परिसर में श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। इस आयोजन में समस्त गुरुभक्त शामिल होंगे।

अखाड़ा परिषद में शोक की लहर
निवर्तमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद जी महाराज के देवलोक गमन की सूचना मिलते ही संत समाज और अभा अखाड़ा परिषद से जुड़े सभी 13 अखाड़े व संतों में शोक की लहर छा गई। अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज और महामंत्री हरि गिरि महाराज ने स्वामीजी के देवलोक गमन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे संत समाज और देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया। इसी प्रकार समन्वय परिवार उज्जैन के प्रमुख टीआर थापक, राधेश्याम सोनी व सुरेश मोढ़ परिवार सहित हरिद्वार के लिए रवाना हो गए हैं। शर्मा परिसर में आज शाम 7.30 बजे सदस्य व सैकड़ों अनुयायी की उपस्थिति में श्रद्धांजलि सभा होगी।

प्रबुद्ध मित्र मंडल ने दी श्रद्धांजलि
प्रबुद्ध मित्र मंडल के सदस्यों ने सायंकालीन प्रार्थना अवसर पर राजेंद्र व्यास के नेतृत्व में स्वामीजी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर सुरेंद्र खंडेलवाल, प्रेमनारायण, हरिहर शर्मा, एसएस दुबे, रमेश खरे आदि सदस्यगण मौजूद थे।

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