उज्जैन. जिला अस्पताल में संचालित सोनोग्राफी सेंटर पर डॉक्टर की मनमानी हावी है। यहां डॉक्टर ड्यूटी से ढाई घंटे देरी से पहुंचते हैं और ड्यूटी खत्म होने से डेढ़ पहले निकल जाते हैं। इसका खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। जिस वजह से उन्हें 15 से 20 दिन बाद के नंबर मिल रहे हैं। मजबूरन उन्हें निजी सेंटर का रुख करना पड़ रहा है।
सेंटर पर कोई डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते
जिला अस्पताल, चरक अस्पताल की सोनोग्राफी के लिए फिलहाल एक ही चिकित्सक जिला अस्पताल के लिए उपलब्ध है, इस कारण पूर्व सीएमएचओ डॉ. एमएल मालवीय ने जिले में पदस्थ रेडियोलॉजिस्ट को सप्ताह में दो दिन जिला अस्पताल स्थित सोनोग्राफी सेंटर पर सेवाएं देने के निर्देश जारी किए थे, जिसके चलते तराना के कनासिया में पदस्थ रेडियोलॉजिस्ट डॉ.अनिल पालोड़ की शनिवार को ड्यूटी रहती है, लेकिन सेंटर पर कोई डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते हैं। शनिवार को डॉ. पालोड़ करीब 10.30 बजे सोनोग्राफी सेंटर पहुंचे और 20 सोनोग्राफी करने के बाद सेंटर से निकल गए। जिस वजह से ओपीडी में आने वाले मरीजों की सोनोग्राफी नहीं हो सकी। 1 बजे तक मरीज सोनाग्राफी की आस में सेंटर पर आते रहे जिन्हें निराश होकर जाना पड़ा।
मरीजों को नंबर
जिला अस्पताल के सोनोग्राफी सेंटर पर ओपीडी मरीजों की हाथोहाथ जांच की व्यवस्था नहीं है। ओपीडी मरीजों को 15 से 20 दिन के नंबर दिए जाते हैं, जबकि यदि ड्यूटी डॉक्टर पूरे समय जांच करें तो इमरजेंसी सहित ओपीडी मरीजों की सोनोग्राफी हाथोहाथ की जा सकती है। इससे उनका उपचार जल्दी शुरू किया जा सकता है।
ले रहे निजी लाभ
स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ अधिकांश रेडियोलॉजिस्ट को विभाग द्वारा ही ट्रेनिंग दी गई है, जिसका फायदा निजी लाभ लेकर उठा रहे हैं। डॉ. पलोड़ को भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही रेडियोलॉजी की ट्रेनिंग दी गई है, लेकिन विभाग के बजाए वे निजी लाभ कमाने में लगे हुए हैं।
मरीजों ने बयां किया दर्द
दर्द से नहीं आ रही नींद, 21 तक रुकना मुश्किल
दोपहर 12 बजे सिलारखेड़ी निवासी शंकर पिता चैना (75) सोनोग्राफी सेंटर पहुंचे, लेकिन वहां डॉक्टर मौजूद नहीं थे। उन्हें 21 जनवरी की तारीख दी गई। शंकर ने बताया उन्हें यूरीन में परेशानी है। दर्द की वजह से 15 दिन से सो तक नहीं पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में इतने दिन कैसे रुकेंगे। इसलिए निजी सेंटर पर जांच करवाकर रिपोर्ट डॉक्टर को दिखा देंगे।
आपसी गठजोड़ मरीजों की परेशानी
12.10 बजे बागपुरा निवासी जानकीबाई पति रामप्रसाद (55) पेट में तेज दर्द के चलते सोनोग्राफी सेंटर पहुंची। उन्हें डॉ. मुंशी खान ने सोनोग्राफी के लिए लिखा था, लेकिन सेंटर पर उन्हें 21 तारीख दे दी। सेंटर पर मौजूद नर्सिंग सिस्टर के अनुसार केवल भर्ती मरीज एवं इमरजेंसी में पहले से नंबर लगे हुए मरीजों की सोनोग्राफी डॉक्टर करते हैं। इस वजह से आने वाले मरीजों को नंबर देना पड़ते हैं। जानकीबाई ने बताया ये सब डॉक्टरों की आपसी गठजोड़ है ताकि मरीज निजी सेंटर पर सोनोग्राफी करवाए।
ये बोले जिम्मेदार
मुझे जितने भी पेशेंट की लिस्ट दी गई थी। उतनी सोनोग्राफी की। हर बार लिस्ट के आधार पर ही सोनोग्राफी करते हैं। कनासिया में मेरी पोस्टिंग है, इसलिए आने में समय लग जाता है।
-डॉ.अनिल पलोड़, सोनोलॉजिस्ट
अस्पताल में सभी डॉक्टरों को समय पर आने के निर्देंश जारी करेंगे। उसके बाद भी अगर समय का पालन नहीं होता है तो नोटिस जारी किए जाएंगे।
-डॉ.एम एल मालवीय, सिविल सर्जन
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