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उज्जैन

प्रदेश का सबसे Green University बनेगा विक्रम विश्वविद्यालय

सोलर प्लांट के साथ-साथ जल संरक्षण मिशन पर भी काम, करीब सौ किलोवाट उत्पादन का अनुमान

उज्जैनMay 21, 2022 / 08:06 pm

Hitendra Sharma

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला ऐसा ग्रीन विश्वविद्यालय होगा, जो सौ प्रतिशत सोलर प्लांट के माध्यम से बिजली का उत्पादन कर यूनिवर्सिटी के भवनों को रोशन करेगा। साथ ही यहां जल संरक्षण के मिशन पर भी काम हो रहा है, जिसका नाम जल-मिशन दिया गया है। करीब 20 लाख से अधिक के इस प्रोजेक्ट के लिए विवि प्रशासन फाइनेंसर की तलाश में है।

करीब सौ किलोवाट उत्पादन का अनुमान
विश्वविद्यालय के 40 भवन में सोलर प्लांट लगने के बाद अनुमान है कि करीब सौ किलोवाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा। वर्तमान में विवि के अधीन विक्रम कीर्ति मंदिर भवन की छत पर लगे सोलर प्लांट से 10 किलो वाट और मुख्य प्रशासनिक भवन की एक छत पर लगे सोलर प्लांट से 5 किलो वाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। कुल 15 किलो वाट बिजली सोलर प्लांट के माध्यम से मिल रही है। सभी विभागों में सोलर प्लेट लगने के बाद बिजली उत्पादन होने से दायरा बढ़ जाएगा।

विश्वविद्यालय के मुख्य प्रशासनिक भवन सहित 40 विभागों और अध्ययनशालाओं में सोलर प्लांट लगाए जाना है। सोलर प्लेट्स लगाने के लिए ऊर्जा विकास निगम को प्रस्ताव भी भेज दिया है। विभाग की ओर से प्रस्ताव के आधार पर सर्वे किया जा रहा है। सर्वे होने के बाद सभी भवनों में सोलर प्लेट्स लगाने का काम शुरू होगा। माना जा रहा है कि सोलर प्लांट लगने के बाद करीब डेढ़ सौ किलोवॉट बिजली का उत्पादन होगा, जिससे विश्वविद्यालय को बिजली के बिल से होने वाले खर्च की बचत होगी।

सोलर प्लांट के लिए ऊर्जा विकास निगम को प्रस्ताव दिया था। इस आधार पर विशेषज्ञ दौरा कर सर्वे रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। सर्वे बाद तय होगा कि किस भवन में कितनी बिजली खपत होती है। इस आधार पर उस भवन पर सोलर प्लेट लगाकर सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली पैदा की जा सकेगी। सोलर प्लांट से उत्पन्न बिजली विद्युत विभाग को दी जाएगी। जिससे विवि के बिजली बिल की बचत होगी।

पुराने कुएं-बावड़ियों को करेंगे रिचार्ज
कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि विवि परिसर जल संरक्षण की दृष्टि से अच्छी भूमि वाला स्थान साबित हो सकता है, क्योंकि यहां पेड़ अधिक हैं। आसपास जो कुएं-बावड़ियां हैं, उन्हें रिचार्ज कराएंगे। साथ ही बारिश का पानी अधिक मात्रा में जमीन में जाए, इसका व्यापक प्रबंध करेंगे। विवि कैम्पस में करीब 20-25 जगह रिचार्जिंग वॉटर का फ्लो बनाए जाएंगे, ताकि बारिश का पानी सीधे जमीन में जाए।

 

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