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उज्जैन

जब-जब डूबता है चामुंडा माता का मंदिर तब-तब होती है कोई अनहोनी, इस सीजन में दूसरी बार डूबा

बारिश के कारण प्रदेश की कई नादियां उफान पर हैं, जिस कारण से यातायात प्रभावित हो गया है।

उज्जैनAug 10, 2019 / 11:23 am

Pawan Tiwari

 chamunda mata mandir

जब-जब डूबता है चामुंडा माता का मंदिर तब-तब होती है कोई अनहोनी, इस सीजन में दूसरी बार डूबा


उज्जैन. मध्यप्रदेश के कई जिलों में लगातार बारिश हो रही है। बारिश के कारण जहां लोगों को राह मिली है वहीं, कई स्थानों में जल भराव के कारण जनजीवन प्रभावित हो गया है। बारिश के कारण उज्जैन में चामुंडा मंदिर एक बार फिर से जलमग्न हो गया है। चंबल नदी ( Chambal River ) इस सीजन में तीसरी बार उफान में हैं। उफान के कारण चामुंडा माता का मंदिर एक बार फिर से जलमग्न हो गया है। चामुंडा माता का मंदिर नागदा के पास स्थिति है। इससे पहले चंबल ने जुलाई नदी में भी माता चामुंडा मंदिर को अपने आगोश में ले लिया था।

पूरी तरह जलमग्न हुआ मंदिर
उज्जैन में लगातार हो रही बारिश के कारण क्षिप्रा समेत कई नादियां उफान पर हैं। नागदा में चंबल नदी तीसरी बार उफान पर हैं। चंबल तट पर स्थिति चामुंडा माता का मंदिर पहली बार पूरी तरह से जलमग्न हो गया है।
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chamunda mata mandir ” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/08/10/nagda_1_4801264-m_4954090-m.jpg”>बलि देने की है मान्यता
चामुंडा माता के मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां लोग अपनी मन्नत पूरी होने के बाद किसी जीव की बलि देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में 365 दिन पूजा होती है और यह मंदिर शमशान घाट पर निर्मित है। ऐसा मिथक है कि जब-जब बारिश में यह मंदिर डूबता है कोई ना कोई घटना घटती है किसी तरह की अनहोनी या घटना से बचने के लिए बीते कुछ वर्षों से बारिश शुरू होने से पहले ही यहां बलि दी जाती है।

4 साल बाद अभिषेक करने पहुंचीं क्षिप्रा
4 साल बाद क्षिप्रा नदी भी बाढ़ आई है। बाढ़ के कारण अंगारेश्वर महादेव का मंदिर भी डूब गया है। अंगारेश्वर मंदिर का शिवलिंग पानी में डूब गया है और मंदिर जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया है। शुक्रवार सुबह से ही नदी में उफान शुरू हो गया और शाम को अंगारेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने क्षिप्रा नदी मंदिर तक पहुंच गईं। पुजारियों ने इसे इंद्र देव की मेहरबानी बताते हुए कहा कि मां क्षिप्रा 4 साल बाद अंगारेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने पहुंचीं हैं।

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