पत्नी ने ऐसी क्या दिखाई चाहत, कि पति को लगाना पड़ा जाम
दो फसलों के साथ लेते हैं ३ लाख रुपए की सूखी आमदनी

नागदा। पत्नी की खातिर लगा दिया जाम (अमरुद)का बगीचा......चौकिए मत, सच है। शहर से ५ किमी दूर स्थित ग्राम रुपेटा के कृषक मुन्नालाल जाट की पत्नी को अमरूद काफी पसंद है। पत्नी की पसंद को ध्यान में रख जाट ने एक बीद्या खेत को अमरुद के बचीगे में तब्दील कर दिया। पत्नी की पसंद इस कदर परवान हो गई कि बगीचे से जाट को प्रतिवर्ष ढेड़ लाख रुपए की आय होने लगी। आमदनी का सिलसिला बीते चार सालों से चल रहा है। पत्नी की चाहत अमरुद तक ही खत्म नहीं हो सकी। बाद में उन्हें मूंगफली लुभाने लगी, फिर क्या था मुन्नालाल अमरुद के साथ ही मंूगफली की बुवाई करने लगे। इस बार भी पत्नी की पसंद ने उन्हें मालामाल कर दिया। अमरुद व मूंगफल की खेती से जाट को प्रतिवर्ष दो फसलों के ३ लाख रुपए से अधिक की आमदनी होने लगी। आइऐ जानते हैं, रोचक किंतु प्रेरणादायक मुन्नालाल जाट व पत्नी सावित्रा की कहानी.......
पत्नी को पसंद थे अमरुद
ग्राम रुपेटा निवासी मुन्नालाल जाट की पत्नी को अमरुद काफी पसंद है। अमरुदों का शौक भी इस प्रकार कि सावित्रा बाई को अमरुद के ८ से अधिक प्रजातियों का ज्ञान है। फल के वजन देख सावित्रा पहचान जाती है, कि वह कौन सी प्रजाति का है। विवाह के बाद से ही पत्नी द्वारा कई बार अमरुद का पेड़ लगाने की जिद करती रही, लेकिन जाट ने पत्नी की जिद पर अधिक ध्यान नहीं दिया। विवाह के वर्ष बीतते गए, बच्चें हो गए लेकिन जाट ने पत्नी की इच्छा पूरी नहीं की। एक दिन स्वत: ही जाट उज्जैन पहुंचे और नर्सरी से अमरुद के २०० पेड़ खरीद लाए। फिर क्या था, पत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पत्नी के साथ पौधों को लगाने में सावित्रा ने भी मदद की। ६ माह के भीतर पौधे फल देने लगे। प्रथम वर्ष ही मुन्नालाल जाट को २ लाख रुपए का सूखा मुनाफा हुआ।
इच्छा शक्ति हो तो, मुश्किल कदमों में
इच्छा शक्ति के बल पर पांरपरिक खेतों को द्वितीय स्थान पर रख। बागवानी को प्राथमिकता देने वाले मुन्नालाल का कहना है, कि वह अमरुद के बगीचे से प्रतिवर्ष तीन फसल लेते है। जिसमें मक्का, अमरुद व मूंगफली शामिल है। जाम व मूंगफली पत्नी का पसंद है। इसलिए वे किसी भी सीजन में इनकी बुवाई नहीं छोड़ते। पौधों में किसी प्रकार के रासायनिक खादों का प्रयोग नहीं किया जाता। केवल गायों के गोबर का उपयोग कर पौधों से फल लेते है।
एक वर्ष पूर्व ही हो जाता है बगीचा बुक
मुन्नालाल के बगीचे में लगने वाले एक जामफल का वजन करीब ३०० ग्राम होता है। बगीचे की चर्चा महिदपुर रोड, ताल, आलोट तक होती है। इसलिए मानसून के पूर्व ही फलों के व्यापारी मुन्नालाल से बगीचे को बुक कर एडवांस राशि दे जाते है। वर्तमान वर्ष में जाट को इंदौर के एक व्यापारी ने २ लाख रुपए में बगीचा बुक करने का न्यौता दिया है। चार सालों से कर अच्छा मुनाफा कमा रहे जाट पौधों से २०२९ तक फल लेंगे। दस वर्षों तक लगातार फल लेने के बाद वे उक्त पौधों का उपयोग ईंधन या फर्निचार के लिए निकाले जाने वाली लकडिय़ों के रुप में करेंगे।
प्री-मानसून से करते है बगीचे को तैयार
जाम के बगीचे की देखरेख जून के प्रथम सप्ताह या प्री-मानसून की बारिश से शुरू हो जाती है। जिसके बाद मानूसन के रफ्तार पकड़ते ही। पौधों में फलों के बीज आ जाते है। जाम के बगीचे की खास बात यह है, कि इनके पौधों को ग्रीष्म ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। ग्रीष्म ऋतु के दिनों में सिंचाई करने से पौधों में फलों की पैदावार कम होती है। बगीचा बनने के द्वितीय वर्ष मुन्नालाल जाट ने ग्रीष्म ऋतु में पौधों की सिंचाई कर दी थी, जिसके चलते उन्हें द्वितीय वर्ष मुनाफा होने के बाजाए ६० हजार रुपए का नुकसान हुआ था।
२०२९ तक पौधों में लगेंगे फल
पत्नी को अमरुद काफी पसंद थे। वे हमेशा से जाम का बगीचा लगाने के लिए कहती थी। बगीचे की चर्चा महिदपुर रोड, ताल, आलोट तक होती है। इसलिए मानसून के पूर्व ही फलों के व्यापारी मुन्नालाल से बगीचे को बुक कर एडवांस राशि दे जाते है। वर्तमान वर्ष में इंदौर के एक व्यापारी ने २ लाख रुपए में बगीचा बुक करने का न्यौता दिया है। चार सालों से कर अच्छा मुनाफा कमा रहे जाट पौधों से २०२९ तक फल लेंगे।
मुन्नालाल जाट
बचपन से ही काफी पसंद है
अमरुद मुझे बचपन से ही काफी पसंद है। प्रजातियों के बात करें तो इलाहाबादी सफेदा, सरदार 49 लखनऊ, सेबनुमा अमरूद, इलाहाबादी सुरखा, बेहट कोकोनट, चित्तीदार, ढोलका, नासिक धारदार के बारे में पता है। इतने प्रकार के अमरुद कभी खाएं नहीं है। लेकिन इनकी प्रजातियों के बारे में पता है। पति के साथ खेती किसानी करना पसंद है।
सावित्रा बाई
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