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उमरिया

नदियों की मौत, सभ्यता की मौत, पदयात्रा से मूर्छित समाज को जगाने की कोशिश

नदी सम्मेलन एवं महाआरती के साथ उमरार नदी पुनर्जीवन पदयात्रा का समापन

उमरियाMay 22, 2022 / 05:47 pm

ayazuddin siddiqui

Death of rivers, death of civilization, attempt to awaken unconscious society by foot march

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उमरिया. पानीदार लोग ही पानी के काम के लिए आगे आते हैं। भारतीय समाज जब तक पानीदार था तब तक पानी का कोई संकट नहीं था। जल संरक्षण हमारा परम कर्तव्य है, हमें अपने जल स्त्रोतों, नदी, तालाब, कुओं व बावली आदि का संरक्षण करना चाहिए। सारी मानव सभ्यताएं नदियों के किनारे विकसित हुई है। नदियों की मौत सभ्यता की मौत है। नदी नही रहेंगी तो मनुष्य भी नही रहेगा। यह अलार्मिंग समय है यदि हम नहीं चेते तो देर हो जाएगी। यह पदयात्रा मूर्छित समाज को जगाने की कोशिश है। उक्त बातें उमरार नदी पुनर्जीवन पदयात्रा के समापन अवसर पर खैरभार गांव में आयोजित नदी सम्मेलन में कमिश्नर राजीव शर्मा ने कही। संस्कृति कर्मी बाला सिंह टेकाम और गांधीवादी चिंतक, लेखक और सर्वोदय कार्यकर्ता संतोष कुमार द्विवेदी के संयोजन में उमरार नदी के उद्गम से प्रारंभ की गई उमरार पुनर्जीवन पदयात्रा के समापन पर नदी सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डीसी सागर, पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार सिन्हा, जिला पंचायत सीईओ इला तिवारी, प्रेरणा फाउंडेशन के संस्थापक आर. श्रीनिवास, राष्ट्रीय नदी संवाद के स्वामी देवस्वरूपानंद, सुरेंद्र, सामाजिक कार्यकर्ता मनीष राजपूत, नंदलाल सिंह, एम खान, भूपेश भूषण, राजेश मानव और नंदकिशोर पुरोहित प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
नागरिकों का आगे आना सुखद
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डीसी सागर ने कहा कि उमरार एवं कथली नदी के संरक्षण के लिए सामाजिक संस्थाओं और नागरिकों का आगे आना सुखद है।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। हमें अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते रहना होगा। सीईओ जिला पंचायत इला तिवारी ने कहा की जिले में पुष्कर धरोहर के तहत 509 तालाबों का जीर्णोध्दार किया जा रहा है। इसी तरह 103 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पानी का काम सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता का काम है।
नदी को दिया जा सकता नया जीवन
स्वाभिमान आंदोलन के प्रतिनिधि स्वामी देवस्वरूपानन्द ने कहा कि उमरार और कथली जैसी छोटी-छोटी नदियां बचेंगी तभी गंगा, यमुना जैसी बड़ी नदियां बच पाएंगी। पदयात्रा का प्रतिवेदन बाला सिंह टेकाम ने रखा एवं कार्यक्रम का संचालन संतोष कुमार द्विवेदी ने किया।
उमरार नदी के उद्गम से 15 मई को शुरू हुई नदी पुनर्जीवन पदयात्रा 30 गांवों से गुजरते हुए 20 मई को संगम में समाप्त हुई। इस पदयात्रा में कई लोगों ने हिस्सा लेकर यात्रा को सफल बनाया।
कथली के जलयोद्धा हुए सम्मानित
प्रयासम फाउण्डेशन ने कथली नदी के संरक्षण के लिए पिछले साल से किए जा रहे प्रयासों के लिए नंदकिशोर पुरोहित और भारत अग्रवाल सहित पूरी टीम को सम्मानित किया। इस अवसर पर अकाशकोट के मजमानिकल के लोकसंगीत दल ने लोकगायक मुन्ना यादव के साथ जल संरक्षण के गीत गाकर लोगों को जागरूक किया। उमरार महाआरती का स्वरचित गीत भी उन्होंने प्रस्तुत किया जिसे लोगों की सराहना मिली। इस अवसर पर तहसीलदार चंदिया पंकज नयन तिवारी, चंदिया टीआई राघवेंद्र तिवारी, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं एचपी शुक्ल, भूपेन्द्र त्रिपाठी, अजय भिवानिया, प्रकृति प्रेरणा फाउंडेशन के डॉ. अभिषेक, अरूण त्रिपाठी, एजाज खान, केजी पाण्डेय, विजय जोशी, राजेश मानव आदि शामिल रहे। कार्यक्रम के अंत में नदी के तट पर महाआरती की गई जिसमें भारी संख्या में ग्रामीण जनों ने हिस्सा लिया।
नदी को पट्टा दे सरकार
पदयात्री दल द्वारा नदी सम्मेलन में आयुक्त राजीव शर्मा को नदी पुनर्जीवन के लिए 9 सूत्रीय सुझाव सौंपा गया। जिसमें प्रमुख रुप से नदी का वास्तविक क्षेत्रफल चिन्हांकित कर संबंधित भूमि का पट्टा नदी के नाम दर्ज किए जाने, अवैध उत्खनन, वृक्षों की बेतहाशा कटाई और नदी में बड़े पैमाने पर हो रहे अतिक्रमण और अवैध निर्माण को तत्काल प्रभाव से रोकन, नदी के किनारे पेड़ों को बचाने के साथ ही पानी को अपनी जड़ों में सहेजने वाले वृक्ष जैसे गूलर, अर्जुन, जामुन, नीम, बड़ और पीपल को बड़े पैमाने पर लगाए जाने की मांग की गई। कमिश्नर ने कहा कि संभाग के तीनों जिलों के कलेक्टरों को वह निर्देशित करेंगे कि जिले की सभी छोटी-बड़ी नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने का अभियान चलाएं। नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में छोटी-छोटी जल संरचनाएं बनाने के साथ-साथ वृहद पैमाने पर पौधरोपण की अभी से प्लानिंग करें।

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