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उमरिया

कुप्रथाओं का उन्मुलन समाज के सहयोग से संभव

बच्चों को दगना से मुक्ति दिलाने प्रयास

उमरियाMay 21, 2019 / 10:50 pm

ayazuddin siddiqui

Elimination of mischief possible with the help of society

कुप्रथाओं का उन्मुलन समाज के सहयोग से संभव

उमरिया. बच्चों को दागने की प्रथा से मुक्ति दिलाने हेतु जिले में कलेक्टर स्वरोचिश सोमवंशी के मार्गदर्शन में संजीवनी अभियान का संचालन किया जा रहा है। अभियान के तहत जन जागरूकता लाने की मुहिम चलाई जा रही है। इसी कड़ी में ग्राम कुदरा में संजीवनी अभियान के तहत चौपाल का आयोजन किया गया। जिसमें स्टेट लेबिल लीगल अथार्टी के सचिव ए के वर्मा, स्टेट लेबिल लीगल अथार्टी के उप सचिव डी के सिंह, अपर सत्र न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संजय कस्तवार, सीईओ जिला पंचायत दिनेश मौर्य, एएसपी रेखा ंिसंह, एसडीएम नीलंाबर मिश्रा, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास शांति बेले, कार्यपालन यंत्री लोस्वायां ए बी निगम सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। चौपाल को संबोधित करते हुए कलेक्टर स्वरोचिश सोमवंशी ने कहा कि अभी भी जागरूकता के अभाव में समाज में कुछ कुप्रथाएं प्रचलित है। कुप्रथाओं का उन्मूलन समाज के सहयोग से ही संभव है। इन्ही में से एक कुप्रथा छोटे बच्चों को दागने की है। आपने कहा कि बच्चो को दागना एक अमानवीय कृत्य है , जो अत्यंत पीड़ा दायक होता है। कभी कभी तो बच्चो की जान भी चली जाती है, और कभी कभी बच्चे संक्रमण से प्रभावित हो जाते है। बच्चो की चिकित्सा , उनकी सुरक्षा तथा उनके विकास की जवाबदारी समाज एवं प्रशासन की है। हम सबको मिलकर जन जन तक यह जानकारी पहुंचानी होगी कि बच्चो की बीमारी का इलाज स्वास्थ्य केंद्रों में ही कराया जाना चाहिए। कलेक्टर ने कहा कि जिले में दागने की कुप्रथा के विरूद्ध निशेधाज्ञा लागू है । अब इस कुप्रथा को संरक्षण देने वाले माता पिता , अभिभावक , दाइयो या अन्य कोई व्यक्ति जो इसे प्रश्रय देगा वह दण्ड का भागी होगा। समाज से निकल कर इस तरह की घटनाओं को बचाने में सहयोग करने वाले लोगों का जिला प्रशासन द्वारा सम्मान भी किया जाएगा। इस अवसर पर ब्राण्ड एम्बेसडर बनाये गये बालक धर्मेन्द्र ने चौपाल में कहा कि ऐसी कुप्रथाएं समाज में नही चलनी चाहिए। हम सब लोग मिलकर प्रयास करेगे। स्टेट लेबिल लीगल अथार्टी के उप सचिव डी के सिंह ने कहा कि अब समाज आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। हर बीमारी के निजात की ओर चिकित्सा विज्ञान ने अपने कदम बढाये है। फिर भी हम पुरानी परंपराओ को जो जानलेवा साबित हो सकती है को जीवित रखे हुए है। ऐसी परंपराओ का हमें उन्मूलन कर देना चाहिए। आपने कहा कि ग्रामीण अंचलों में चिकित्सा के क्षेत्र में जो कमियां रह जाती है उन्हें पूरा करने के प्रयास किए जायेेगे। विकास के अवसर भी उपलब्ध रहेगे, किंतु हम सबको मिलकर दागने की प्रथा को जड से खत्म करने की दिशा में प्रशासन के साथ समन्वित प्रयास करने होगे। सभी के सहयोग से ही इन कुप्रथाओं को जड़ से समाप्त करने में सफलता मिलेगी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रेखा सिंह ने कहा कि बेटे के दुख का अनुभव एक मां ही कर सकती है दागने के बाद अबोध बालक को कितना कष्ट झेलना पडता होगा , उसकी कल्पना एक महिला से ज्यादा कौन कर सकता है।

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