ब्रह्मकुमारी उषा ने बताया कि ध्यान यानी मेडिटेशन राजयोग से मन को शांति मिलती है। मन एकाग्र व सशक्त होता है। ध्यान से मन की शक्ति और क्षमता में वृद्धि होती है। खुली आंखों से ध्यान लगाना अच्छा होता है। व्यक्ति का ध्यान वस्तु में लग जाता है। किंतु ईश्वर में नहीं लगता है। क्योंकि ‘ईश्वर के सत्य’ से परिचय नहीं है।
उन्होंने बताया परमात्मा सर्वोच्च शक्ति है, सर्वोपरि, सर्व गुणों में अनंत है, वही परमात्मा है। परमात्मा का स्व: कथित नाम शिव है। शिव का अर्थ कल्याणकारी है। सभी धर्मों में ‘प्रकाश’ को ईश्वर माना गया है। ऐसे में कहा जा सकता है कि ईश्वर प्रकाश स्वरूप है। जिस प्रकार आत्मा ‘प्रकाश स्वरूप’, ‘ज्योति स्वरूप’ है। ठीक उसी प्रकार आत्मा का पिता परमात्मा भी ज्योति और प्रकाश स्वरूप है।
Kushari Devi: अयोध्या से लौटते समय भगवान राम के पुत्र कुश ने की देवी की स्थापना, पर्यटन स्थल घोषित
शिव और शंकर में अंतर हैब्रह्मकुमारी उषा ने बताया कि शिव और शंकर में अंतर है। शिव कल्याणकारी परमात्मा है। जबकि शंकर विनाशकारी देवता है। शिव निराकार है जबकि शंकर आकारी देवता है। उन्होंने बताया कि शंकर ध्यान की अवस्था में अपने पिता शिव की याद में रहते हैं। शिव के मंदिर को ‘शिवालय’ कहा जाता है, शंकरालय नहीं। परमात्मा अपने वायदा के अनुसार धरा धाम पर आ चुका है। ईश्वरीय ज्ञान तथा राज योग की शिक्षा दे रहा है।