आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने प्रेसवार्ता में कहा, मानसूनी बारिश यदि 96-104 फीसदी रहती है तो यह सामान्य मानी जाती है, लेकिन इस बार इसके 106 फीसदी तक रहने की उम्मीद है। इसमें 5 फीसदी की मांडलीय गलती हो सकती है।
2023 में मानसूनी बारिश की बात करें तो यह सामान्य से 94 फीसदी रही थी, जो कम थी। मौसम विभाग ने कहा कि मानसून के सामान्य से अधिक रहने की संभावना 61 फीसदी है, जबकि 29 फीसदी संभावना सामान्य की है। सामान्य से कम रहने की संभावना महज 10 फीसदी है।
अलनीनो की स्थिति हो रही कमजोर
महापात्र ने कहा, अभी भूमध्य रेखीय प्रशांत महासागर में अलनीनो की मध्यम स्थितियां बनी हुई हैं। अच्छी बात यह है कि यह लगातार कमजोर पड़ रहा है। अनुमान है कि अगस्त-सितंबर में वहां ला नीना स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। ला नीना मानसून के लिए फायदेमंद माना जाता है, जबकि अलनीनो स्थिति में बारिश कम हो सकती है।
लू की चेतावनी
वहीं आईएमडी ने तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तरी गोवा, केरल और ओडिशा में अगले चार दिन तक हीटवेव (लू) चलने की चेतावनी जारी की है। नौ बार सामान्य से अधिक बारिश हुई
1951 से 2023 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में उन नौ मौकों पर सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा हुई, जब अल नीनो के बाद ला नीना की स्थिति बनी। वहीं, 22 ला नीना वर्षों में से 20 बार मानसून सामान्य से अधिक रहा। इस बार उत्तर-पश्चिम, पूर्व और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। तीन घटनाओं से होती है वर्षा की भविष्यवाणी
तीन घटनाओं से मानसूनी बारिश की भविष्यवाणी होती है। इसमें पहला अल नीनो का प्रभाव है। दूसरा, हिंद महासागर डिपोल पर नजर रखी जाती है, जो भूमध्यरेखीय हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों के अलग-अलग तापमान के कारण होता है। तीसरा, उत्तरी हिमालय और यूरेशियाई भूभाग पर बर्फ के चादर को देखा जाता है।