शामली

हाईकोर्ट से बरी होने के बाद भी 70 वर्षीय बुजुर्ग बंद है यूपी की जेल में, पाक सरकार ने नागरिक मानने से ही किया इनकार

शामली पुलिस ने वर्ष 2000 में एक पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद वारिस रजा को आतंकी कनेक्शन के मामले में गिरफ्तार किया था। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा तो वारिस रजा को बरी कर दिया गया, लेकिन अब पाकिस्तान सरकार ने उन्हें अपना नागरिक मानने से इनकार कर दिया है।

शामलीMay 22, 2022 / 12:45 pm

lokesh verma

हाईकोर्ट से बरी होने के बाद भी 70 वर्षीय बुजुर्ग बंद है यूपी की जेल में, पाक सरकार ने नागरिक मानने से ही किया इनकार।

आतंकी कनेक्शन के मामले में पाकिस्तान का एक 70 वर्षीय बुजुर्ग 19 साल से यूपी की जेल में बरी होने के बाद सजा काट रहा है। शामली के गांव जोला से पाकिस्तान के गुजरांवाला के वजीराबाद निवासी मोहम्मद वारिस रजा को वर्ष 2000 में गिरफ्तार किया गया था। उस समय वह महज 48 वर्ष के थे। गिरफ्तारी के बाद स्थानीय अदालत ने आतंकवाद के मामले में वारिस को आजीवन कारावास की सजा दी थी, लेकिन उसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वारिस को बरी कर दिया, जिसके बाद दिसंबर 2019 में ही वारिस को रिहा किया जाना चाहिए था। लेकिन, भारत-पाकिस्तान के कानून के कारण वह अभी भी जेल में बंद हैं।
मोहम्मद वारिस रजा के बेटे गुलजार ने बताया कि पिता वर्ष 2000 अपने एक दोस्त से मिलने के लिए पाकिस्तान से शामली आए थे। वह अपने दोस्त अशफाक घर थे। इसी दौरान पुलिस पिता के साथ उनके दोस्त के अलावा चार स्थानीय लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उनसे हथगोले और बंदूकें बरामद करने का दावा किया था। जांच के बाद यूपी पुलिस ने पिता के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से कनेक्शन और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के प्रयास में आईपीसी की धारा 121 के तहत केस दर्ज किया। वहीं, अन्य आरोपियों के खिलाफ धारा 121-ए, 122, 123 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
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यूपी पुलिस पर पासपोर्ट फाड़ने का आरोप

गुलजार ने बताया कि पिता ने अदालत में बताया था कि उनके पास कोई हथियार नहीं मिले थे, वह तो वैध पासपोर्ट पर भारत आए थे, लेकिन यूपी पुलिस ने उनका पासपोर्ट फाड़ दिया था। गुलजार ने बताया कि 2017 में मुजफ्फरनगर ट्रायल कोर्ट में अशफाक के साथ उनके पिता को धारा 121 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि पिता को पासपोर्ट एक्ट और विस्फोटक पदार्थ एक्ट के आरोपों से बरी किया गया था। वहीं अन्य आरोपी भी बरी हो गए थे।
हाईकोर्ट ने हैरानी जताते हुए किया था बरी

19 साल यूपी की जेल में रहने के बाद 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिता के मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत के आजीवन कारावास के फैसले को रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि अभियोजन पक्ष की ओर से केस में गंभीर कानूनी विसंगतियां हैं। विदेशी नागरिक से जुड़े मामले में भी अभियोजन ने मुकदमा चलाने के लिए केंद्र या फिर राज्य सरकार की अनुमति नहीं ली। हाईकोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा था कि यह बेहद आश्चर्यजनक है कि अभियोजन पक्ष को पता ही नहीं था कि इस तरह के मामलों में आईपीसी के अध्याय 6 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए जिम्मेदार प्राधिकारी की अनुमति अनिवार्य होती है।
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इसलिए अभी तक जेल में बंद हैं वारिस रजा

भारतीय अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान सरकार ने वारिस रजा को अपने देश का नागरिक मानने से इनकार कर दिया था। इसलिए उनका डिपोर्टेशन संभव नहीं था। वहीं एक अन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस मामले में पाकिस्तान सरकार से बातचीत जारी है। यह भी साबित हो चुका है कि वारिस पाकिस्तान के गुजरांवाला स्थित वजीराबाद का ही रहने वाला है। वारिस को सुरक्षा के दृष्टि से देश में आजाद घूमने नहीं दिया जा सकता है।
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