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वाराणसी

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 41वां दीक्षांत समारोह संपन्न, 30 मेधावियों को मिले 59 मेडल

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 41वां दीक्षांत समारोह (कन्वोकेशन) राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस दौरान भारत के ज्ञान विज्ञान से परिचय करवाने वाले 1.6 करोड़ के लैब का भी उद्घाटन हुआ।

वाराणसीNov 25, 2023 / 09:02 pm

SAIYED FAIZ

Convocation ceremony held at Sanskrit University Varanasi

संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में संपन्न हुआ दीक्षांत समारोह

वाराणसी। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रांगण में शनिवार को 41वां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। इस दौरान 14167 उपाधियां बांटी गयी। इसके अलावा 30 मेधावियों को 59 मेडल दिया गया। वहीं राज्यपाल ने सभी 14167 उपाधियों को एक क्लिक में विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी अपलोड किया। इसके बाद उन्होंने मेधावियों को गोल्ड मेडल दिया और उन्हे भविष्य के लिए शुभकामना दी। राज्यपाल ने कहा कि जो होनहार होगा जगह अब उसी को मिलेगी। पिछले 250 साल में इस विश्वविद्यालय ने भारत को अनेक विद्वान दिये हैं लेकिन पिछले 15-20 सालों में विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुई है जिसपर हम सभी को सोचते हुए पुनः इस विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने को सामुहिक प्रयास करना होगा।
नेपाल के प्रवीण और प्रयागराज के ऋषभ को 5-5 मेडल

इस दौरान व्याकरण विभाग में पढ़ने वाले नेपाल के रोपमदेही के रहने वाले प्रवीण पौडेल को 5 गोल्ड मेडल मिला। प्रवीण के पिता गोपाल पौडेल किसान हैं। वहीं माता मीना पौडेल ग्रहणी हैं। प्रवीण ने बताया कि शुरुआत में पढ़ाई मेरी नेपाल में हुई है। उसके बाद पिछले 6 सालों से यहां अध्ययन कर रहा हूं जिसका फल आज 5 गोल्ड मेडल के साथ मिला है। इतनी खुशी है कि उसे शब्दों में नही बता सकता। प्रवीण आगे चलकर संस्कृत के अध्यापक बनने का सपना है।
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अथर्ववेद में करेंगे ऋषभ रिसर्च

वहीं अथर्वेद से स्नातक ऋषभ को 5 गोल्ड मेडल मिले हैं। ऋषभ प्रयागराज के रहने वाले हैं। ऋषभ ने बताया की वो आगे अथर्ववेद में ही अपना भविष्य बनाएंगे और अथर्ववेद में रिसर्च करना चाहते हैं। उन्होंने बताया की बनारस आकर हमेशा मन प्रसन्न हो जाता है। यहां अध्ययन करने के बाद आज 5 गोल्ड मेडल मिला है यह सब बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद है।

महिलाएं ज्ञान परंपरा विश्व में फैलाएंगी

छात्र-छात्रों कोई मैडल और उपधियां बांटने के बाद राज्यपाल ने एक बार फिर महिलाओं की हैसलाअफजाई की है और कहा कि संस्कृत में महिलाओं व छात्राओं के द्वारा पीएचडी उपाधि प्राप्त करने पर भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे हमारी ज्ञान परंपरा विश्व में फैलेगी। उन्होंने काशी को न्याय की भूमि बताया। उपाधियां अब डिजिलॉकर में आ गयी हैं जिससे कोई छेड़छाड़ संभव नहीं है।
https://youtu.be/rbDuurDOhqk

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