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कांग्रेस के बाद बीजेपी का गढ़ बनी बनारस संसदीय सीट की कहानी बेहद अलग है। बनारस संसदीय सीट 1952 से लेकर 1962 तक कांग्रेस के पास थी इसके बाद 1967 में माक्र्सवादी पार्टी के पास यह सीट चली गयी थी। 1971 में कांग्रेस, 1977 में इंडियन नेशनल लोकदल, 1980 व 1984 में फिर कांग्रेस प्रत्याशी ने इस सीट से चुनाव जीता था लेकिन 1991 से सारी कहानी बदल गयी। 1991 से लेकर 2004 तक इस सीट पर बीजेपी ही जीतती आयी थी। वर्ष 2004 में कांग्रेस ने एक बार इस सीट से चुनाव जीता था इसके बाद फिर से बीजेपी के ही कब्जे में बनारस संसदीय सीट है। बीजेपी नेताओं की माने तो लोकसभा चुनाव 2019 में यहां से पीएम नरेन्द्र मोदी ही पार्टी के प्रत्याशी होंगे। ऐसे में सपा के लिए यह सीट बेहद परेशानी वाली हो सकती है।
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वाराणसी जिले में आठ विधानसभा सीट है। कुछ सीटों पर सपा को जीत मिलती आयी है। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में अखिलेश यादव, डिंपल यादव व राहुल गांधी ने एक साथ रोड शो किया था लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर के आगे सपा की सारी मेहनत बेकार हुई। वाराणसी जिले की आठों विधानसभा सीट बीजेपी के खाते में आ गयी थी अब सपा व बसपा गठबंधन को बनारस संसदीय सीट से लोकसभा प्रत्याशी जीताने में कामयाब हो जाते हैं तो यह इतिहास होगा।
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