scriptNehru Jayanti: गांधी के बाद अब नेहरू पर बनारस के इस युवा छात्र ने लिखी ये बड़ी बात | Ayush Chaturvedi of Varanasi commented on Nehru After Mahatma Gandhi | Patrika News

Nehru Jayanti: गांधी के बाद अब नेहरू पर बनारस के इस युवा छात्र ने लिखी ये बड़ी बात

locationवाराणसीPublished: Nov 14, 2019 12:23:28 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

Nehru Jayanti: दो दिन पहले ही महामना मालवीय को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते हुए बीएचयू के मौजूदा हाल पर की थी जबरदस्त टिप्पणी

आयुष चतुर्वेदी और पंडित नेहरू

आयुष चतुर्वेदी और पंडित नेहरू

वाराणसी. आम लोगों से अलग पहले गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने फिर इस घर्मनिरपेक्ष भारतीय गणराज्य में फैल रही सांप्रदायिकता पर चोट करने वाले सेंट्रल हिंदू ब्वायज स्कूल के 11 के इस छात्र ने अब आधुनिक भारत के शिल्पी और पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की पर जयंती (Nehru Jayanti) पर अपनी बेबाक टिप्पणी की है। पत्रिका को भेजे अपने संदेश में इस युवा छात्र ने नेहरू को सच्चा राष्ट्रभक्त बताने के साथ ही यहां तक कहा है कि “आप तस्वीरों के चेहरे दीवार की तरफ़ मोड़कर इतिहास नहीं बदल सकते।”
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हां हम बात कर रहे हैं उस आयुष चतुर्वेदी की जो महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से पहले अपने स्कूल की प्रार्थना सभा में गांधी पर 9 मिनट का भाषण देकर देश भर में सुर्खियों में आया था। उसके बाद उसने गांधी पर कई अन्य कार्यक्रमों में अपनी प्रतिक्रिया दी। साथ ही दो दिन पहले ही महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की पुण्यतिथि पर बीएचयू के वर्तमान माहौल पर तल्ख टिप्पणी की थी। अब उसने 14 नवंबर नेहरू जयंती पर पत्रिका को ये संदेश भेजा है। प्रस्तुत है आयुष के शब्दों में जवाहर लाल नेहरू की शख्सियत…
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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। मुआफ़ी चाहूंगा प्रयागराज में।
एक अमीर वकालती रियासत में पैदा होने वाले नेहरू यदि चाहते तो जीवनभर मौज में रहते,लेकिन ये उनकी देशभक्ति ही थी जिसके कारण सभी आडम्बरों को त्यागकर उन्होंने खादी पहनी और अपने जीवन के पूरे 10 वर्ष जेल में बिताए।
आज इतिहास का पूर्णरूपेण फेसबुकाईजेशन, वहाट्सप्पीफिकेशन और टिकटोकियाईजेशन हो चुका है। जब तमाम कोशिशें चल रहीं है नेहरू को अय्याश,औरतपरस्त और अनाड़ी साबित करने की तब नेहरू की ही कही बात याद आती है कि, “आप तस्वीरों के चेहरे दीवार की तरफ़ मोड़कर इतिहास नहीं बदल सकते।”
चार बार नेहरू की हत्या का प्रयास किया गया था लेकिन फिर भी वे साथ में सुरक्षाकर्मी लेकर चलना नहीं पसंद करते थे क्योंकि इससे ट्रैफिक में बाधा पैदा होती थी। नेहरू के विषय में तमाम झूठ फैलाये जाएंगे लेकिन सच तो सच है,तथ्य तो तथ्य है, आपके पसन्द या नापसन्द करने से गायब नहीं हो जाएगा।
ऐसा नहीं है कि नेहरू की आलोचनाएं पहले नहीं होती थीं। कैफ़ी आज़मी और साहिर लुधियानवी जैसे धुर वामपंथी लेखकों,शायरों और गीतकारों ने नेहरू की नीतियों का तब भी खूब विरोध किया था लेकिन ये नेहरू की सार्वभौमिक प्रतिभा और प्रसिद्धि का ही द्योतक है कि साहिर और कैफ़ी आज़मी ने कई शेर-ओ-शायरियाँ और फिल्मी गीत नेहरू जी की तारीफ़ में लिखे हैं। नेहरू को आज़ादी के बाद भारत एक गरीब और अंग्रेजों द्वारा लुटे हुए देश के रूप में मिला था। दुनियाभर की सरकारें और नेता ये दावा करते थे कि भारतीय लोकतंत्र लम्बे समय तक नहीं टिकेगा लेकिन ये नेहरू की कूटनीतिक ताक़त और विलक्षण प्रतिभा का ही कमाल है कि आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी हमारा लोकतंत्र कायम है और सुचारू रूप से काम कर रहा है।
नेहरू एक धर्मनिरपेक्ष नेता थे और उन्हें विरोधी अच्छे लगते थे क्योंकि वह लोकतंत्र में एक मज़बूत विपक्ष के हिमायती थे। तभी तो राजनैतिक विरोधी होते हुए भी नेपाली क्रांति के समर्थन में गिरफ़्तार हुए राममनोहर लोहिया को उन्होंने रिहा करवाया था,वो भी तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल को छः चिट्ठियां लिखकर। पंडित नेहरू अटल बिहारी बाजपेयी की भी तारीफ़ करते थे और उनका उत्साहवर्धन भी करते थे।
मानता हूं कि सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू में कई मतभेद थे,लेकिन मनभेद कभी नहीं रहा। गांधीजी ने एक बार सरदार पटेल को चिट्ठी लिखी और कहा कि तुम बहुत मेहनत करते हो, अपना ध्यान रखो! इसके उत्तर में पटेल जी ने गांधीजी को एक पत्र लिखा और कहा-“बापू! मैं ठीक हूँ। हमें ज़रूरत है कि हम मिलकर जवाहरलाल का ध्यान रखें, वो मुझसे ज्यादा मेहनत करता है।”
नेहरू के ऊंचे कद को समझने के लिए हमें अपनी बौनी सोच और समझ से ऊपर उठना पड़ेगा।

हर वो व्यक्ति जो देश के लिए कुछ कर-गुज़रना चाहता है उसे नेहरू को पढ़ना और समझना ही पड़ेगा जिन्होंने कहा था कि,”हम भारत के लोग ही भारत माता हैं।”
अतः बस यही निवेदन करना चाहूंगा कि अब से कोई भी “एडिटेड फ़ोटो” आपके वाट्सअप पर आए और आप नेहरू को “वूमेनाइजर” करार दें, उससे पहले एक बार नेहरू को पढ़ लें, और हां! क़िताब से, गूगल से नहीं। लगभग चार-पांच दर्जन किताबें उन्होंने लिखी हैं,उनमें से कोई भी एक खरीद लें और पढ़ें ताकि इस सुंदर दुनिया को नफ़रती चादर ओढ़ाने की
बजाय प्रेमानुकूल बनाया जा सके क्योंकि किसी ने कहा है―

“जब भी इंसान ने इंसान से नफ़रत की है,
प्यार हारा है तबाही ने हुक़ूमत की है!”

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