लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर बनारस बेहद संवेदनशील है। पीएम नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के चलते यहां के विकास पर सभी की निगाहे लगी हुई है। बनारस में सैकड़ों करोड़ की विकास योजना चल रही है। अखिलेश यादव के राज में बीजेपी हमेशा यह आरोप लगाती थी कि सपा सरकार बनारस के विकास में बाधा डाल रही है लेकिन अब कहानी बदल चुकी है। यूपी में बीजेपी सरकार आ गयी है इसके बाद भी निर्धारित समय में योजना पूरी नहीं हो रही है जिसके चलते उनके निर्माण की तिथि तक बढ़ायी जा रही है फिर भी अधिक लाभ नहीं मिल रहा है। कैंट फ्लाईओवर, वरुणा कॉरीडोर, एसटीपी, कुंडों व पार्क का सुन्दरीकरण आदि ऐसी योजना है जिनकी समय सीमा ही बढ़ायी जा रही है लेकिन योजना पूर्ण होने का नाम नहीं ले रही है।
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लंबे समय बाद हटाये गये दो बड़े अधिकारी
बनारस का जिलाधिकारी या एसएसपी बनना है तो आरएसएस का आशीर्वाद लेना बहुत जरूरी है। आरएसएस का साथ मिल जाये तो अधिकारी को हटाना यूपी सरकार के लिए भी कठिन हो जाता है। कुछ दिन पहले ही जिलाधिकारी रहे योगेश्वर राम मिश्रा व एसएसपी आरके भारद्वाज का तबादला किया गया है उनकी जगह दो नये अधिकारी आये हैं अब देखना है कि सीएम योगी विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे तो इन अधिकारियों के जाने का अन्य लोगों पर कितना असर होता है। अभी तक सीएम योगी सिर्फ फटकार ही लगा रहे हैं। शहर की जनता गंदगी, जलभराव, बिजली संकट से परेशान हो गयी है।
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बनारस का जिलाधिकारी या एसएसपी बनना है तो आरएसएस का आशीर्वाद लेना बहुत जरूरी है। आरएसएस का साथ मिल जाये तो अधिकारी को हटाना यूपी सरकार के लिए भी कठिन हो जाता है। कुछ दिन पहले ही जिलाधिकारी रहे योगेश्वर राम मिश्रा व एसएसपी आरके भारद्वाज का तबादला किया गया है उनकी जगह दो नये अधिकारी आये हैं अब देखना है कि सीएम योगी विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे तो इन अधिकारियों के जाने का अन्य लोगों पर कितना असर होता है। अभी तक सीएम योगी सिर्फ फटकार ही लगा रहे हैं। शहर की जनता गंदगी, जलभराव, बिजली संकट से परेशान हो गयी है।
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