स्वामी स्वरूपानन्द ने गंगा सफाई पर जोर देते हुए कहा कि जीवनदायिनी गंगा आज आचमन योग्य भी नही रह गई है जो चिंता का विषय है। गंगा पहले भी पवित्र थी और आज भी, बस आवश्यकता है उसे अविरल करने की। उन्होंने कहा कि आज देश दुनिया में गौमांस के निर्यातक के रूप में ख्याति प्राप्त कर रहा है, जो सनातन धर्म के लिए उचित नही है। उन्होंने कहा कि सरकार आज मठ मंदिरों पर नियंत्रण करने की तैयारी में लगी है, जिसमें वह मंदिरों का हिसाब किताब रखना शुरू कर रही है। सन्तों से हिसाब भ्रष्ट नेता व अधिकारी लेंगे इससे दुर्भाग्यपूर्ण विषय क्या हो सकता है
परम धर्म संसद प्रांगण में प्रथम दिन सायंकाल काशी के कलाकारों ने भजनों की बयार बहाई। गायक डॉ. विजय कपूर ने ‘यह धर्म संसद है, यह धर्म संसद है‘, ‘शंकर तेरी जटा से बहती है गंगधार‘ जैसे भजनो की सुमधुर प्रस्तुति दी। उनके साथ सह गायन पर खुशबू रोहित रही। तबले पर सुमन्त चैधरी, साइड रिद्म पर संजय श्रीवास्तव एवं बेंजो पर लक्ष्मण ने संगत की।