बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के तहत जिन चार प्रमुख घाटों के मौलिक स्वरूप पर संकट पैदा हुआ है उसमें ऐतिहासिक व अति धार्मिक महत्व वाला मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, नेपाल राज दरबार द्वारा तैयार कराया गया ललिता घाट और जलासेन घाट है। इन सभी घाटों के प्रस्तर सोपानों पर हर साल देव दीपावली पर दीपक सजाये जाते थे। इस बार यहां वह दृश्य था पर ऐसा माना जा रहा है कि जिस तेजी से विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण की तैयारी चल रही है उससे अगले साल यहां पारंपरिक अलौकिक छटा निहारने को मिलेगी इसे लेकर संशय की स्थिति है।
इन घाटों की मौलिकता को कायम रखने का प्रयास भी किया गया था। अखाडा गोस्वामी तुलसी दास, संकट मोचन फाउंडेशन के चेयर पर्सन प्रो विश्वंभर नाथ मिश्र और उनके अनुज प्रो विजय मिश्र की यह सोच थी कि काशी के प्राचीन और अति ऐतिहासिक महत्व वाले मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट और नेपाल राज परिवार द्वारा बनाए गए ललिता घाट और जलासेन घाट के मौलिक स्वरूप का विशाल कटआउट तैयार किया जाय। मिश्र बंधु की कल्पना को साकार किया अनिल और उनकी टीम ने।
मां गंगा के विराट स्वरूप का मिला दुर्लभ दर्शन
सबसे अलौकिक तो इन चारों घाटों के ऊपर मां गंगा का विराट स्वरूप था। घाट और घाट के ऊपर मां गंगा का यह जीवंत चित्र देखते ही बन रहा था। यह सब साकार किया बहरीन में अपनी कला का जादू दिखा रहे अनिल के साथ राजू कुमार चित्रकार पटना (बिहार), राजेश कुमार मूर्तिकार वाराणसी ,अनिल कुमार चित्रकार बहरीन ,कैलाश कुमार विश्वकर्मा रीवा ( मध्य प्रदेश) देवेन्द्र पटेल, प्रवीण पटेल, किशन कुमार, (वाराणसी) सहयोगी शिल्पी दिवाकर, रामू ,योगेश कुमार सहित दर्जनों कलाकारों ने।
इतना ही नहीं हर साल की तरह कला साधक की इस तपस्थली पर आयोजित देवदीपावली भारत में मैंडोलीन के जनक एवं साधक पं यू श्रीनिवासन की शेष स्मृतियों को समर्पित रही। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास, संकटमोचन मंदिर और संकटमोचन फाउंडेशन ने एक बार फिर गंगा निर्मलीकरण, सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप काशी की गंगा और उसके धरोहरी घाटों के साज-सज्जा का केंद्र बिंदु बनाया। देशी और विदेशी कलाकार इस कल्पना को मूर्त रुप देने में जुटे तो दर्शक श्रोता बन खुद को अचंभित महसूस करने लगे।
तुलसी घाट पर परंपरागत रूप से श्री कृष्ण लीला दोपहर बाद तीन बजे शुरू हुई। यह लीला द्वापर काल के दृष्टांत पर आधारित रही। इसके तहत कंस वध की लीला का मंचन हुआ। इसके बाद कलयुग का दृष्टांत आने पर कबीर वाणी से पूरा घाट गुंजायमान हो गया। फिर गंगा आरती हुई और उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति पेश की। इसके तहत भारत में मैंडोलीन के जनक एवं साधक पं यू श्रीनिवासन के भाई यू राजेश का मैंडोलीन वादन और शिवमनी के ड्रम वादन की युगलबंदी ने दिल के तार-तार झंकृत कर दिए। बता दें कि ये सभी 40 कलाकार शुक्रवार को ही खाड़ी देश से यहां पहुंचे हैं।
बता दें कि इसी तुलसी घाट पर पिछले साल की देव दीपावली ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी को समर्पित थी तो उससे पहले गोरखा रेजिमेंट को। गत वर्ष घाट पर गिरिजा देवी का विशालकाय आदमकद कटआउट लगाया गया था। वैसे ही उससे पहले यानी 2016 में गोरखा रेजिमेंट को लेकर तरह-तरह की पेंटिंग्स व कटआउट बनाए गए थे।