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जीएसटी ने लगाया कनहर सिंचाई परियोजना पर ब्रेक, योगी भी नाराज 

जीएसटी ने लगाया कनहर सिंचाई परियोजना पर ब्रेक, योगी भी नाराज 

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Awesh Tiwary

Jul 19, 2017

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आवेश तिवारी
वाराणसी / सोनभद्र। यूपी, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर सोनभद्र के अमवार में 2239 करोड़ की लागत से बनाई जा रही कनहर सिंचाई परियोजना का काम जीएसटी की वजह से ठप्प पड़ गया है। 39 वर्षों से बंद पड़ी इस परियोजना का शिलान्यास 2012 में अखिलेश यादव के शासनकाल में शुरू हुआ था ,जब तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बताते हुए जल्द से जल्द इसका निर्माण पूरा कराने की बात कही थी। लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी अब तक परियोजना का 50 फीसदी काम भी पूरा न हो सका है। इस बीच सरकार ने जीएसटी लागू कर दी जिसके बाद जिस कंपनी द्वारा बाँध के निर्माण के लिए सीमेंट की आपूर्ति की जा रही थी उसने आपूर्ति रोक दी।

योगी भी काम की धीमी गति से नाराज
कनहर सिंचाई परियोजना के तहत 39 मीटर ऊँचा एक बांध बनना है और दो मुख्य नहरों जिनकी लम्बाई 150 किलोमीटर होगी के जरिये यूपी के सोनभद्र जनपद के दुद्धी और राबर्ट्सगंज तहसील के कुल 108 गांवों की सिंचाई हो सकेगी। महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित कनहर सिंचाई परियोजना की बढ़ती लागत पर भी नाराजगी जाहिर की है। माना जा रहा है कि प्रदेश की योगी सरकार भी इस परियोजना पर अत्यधिक धन के खर्च को लेकर नाराज है।

अब मध्य प्रदेश से सीमेंट आपूर्ति करना चाहता है जेपी
निर्माण के दौरान कनहर सिंचाई परियोजना को अब तक जेपी सीमेंट द्वारा सीमेंट की आपूर्ति की जा रही थी। चूँकि जेपी का कारखाना सोनभद्र में था इसलिए बाँध को आवश्यक सीमेंट की आपूर्ति सोनभद्र से ही हो जा रही थी। लेकिन इसी बीच जेपी सीमेंट की डाला इकाई का ग्रासिम ने अधिग्रहण कर लिया और केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू कर दी। अब जेपी सीमेंट का कहना है कि हम मध्य प्रदेश के अपने कारखाने से सीमेंट की आपूर्ति कर देंगे लेकिन रेट रिविजन करना होगा। कनहर निर्माण प्रखंड के अधिशासी अभियंता विजय कुमार कहते हैं 'हम अपनी तरफ से समस्या के समाधान की पूरी कोशिश कर रहे हैं कम्पनी के नुमाइंदों से सिंचाई विभाग की निरंतर बात हो रही है मुमकिन है कि जल्द ही कोई समाधान निकलेगा'।
अब तक खर्च हुए 850 करोड़
कनहर सिंचाई परियोजना की वर्तमान लागत 2239 करोड़ निर्धारित की गयी है। इसे पूरा करने का लक्ष्य 2018 तक है। परियोजना का शिलान्यास यूं तो वर्ष 1976 में हो गया था लेकिन करीब 38 वर्ष से लम्बित होने के बाद सपा सरकार ने इस परियोजना के प्रति गम्भीरता दिखाते हुए निर्माण को शुरू कराया।कनहर सिंचाई परियोजना के लिए पिछले दो वर्षों में नाबार्ड द्वारा 850 करोड़ रुपये दिए गए। इसमें 2016 के अंत तक करीब 750 करोड़ रुपए निर्माण कार्य में खर्च हो चुके हैं। गौरतलब है कि जल्द ही मानसून धमक तेज होने वाली है ऐसे में लम्बे समय तक बाँध का कार्य लंबित होने की संभावना है ।