अंजुमन कमेटी अदालत में 51 बिंदुओं पर रख चुकी है अपना पक्ष बता दें कि मई में शुरू हुई अदालती कार्यवाही के तहत अब तक प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी 51 बिंदुओं पर अपना पक्ष रख चुकी है। अब कमेटी के अधिवक्ता इस प्रकरण में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस)- 1991 को लेकर अपनी दलील पेश करेंगे कि इस एक्ट के तहत देश की आजादी के दिन जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, आगे भी वही रहेगी। इसलिए मुकदमा सुने जाने योग्य नहीं है। इसके बाद हिंदू पक्ष दलीलें पेश करेगा कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू नहीं होता है। इसलिए मुकदमा सुनवाई योग्य है।
2021 में दाखिल हुआ था शृंगार गौरी केस मां शृंगार गौरी से जुड़े इस मामले से संबंधित मुकदमा 18 अगस्त 2021 को राखी सिंह, सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक ने सिविल कोर्ट में दाखिल किया था। इसी मामले में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रविकुमार दिवाकर के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ और सर्वे के दौरान वजूखाने में शिवलिंगनुमा आकृति के मिलने के बाद वो स्थल सील कराया था।
सुनवाई से पूर्व गठित हुआ श्री आदि महादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास नामक ट्रस्ट इस बीच ज्ञानवापी मसले की आज होने वाली सुनवाई से एक दिन पहले सोमवार को वादी पक्ष ने श्री आदि महादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास नामक ट्रस्ट बना लिया। सोमवार की शाम इस ट्रस्ट की बैठक मलदहिया स्थित विवेकानंद नगर कॉलोनी में हुई। इस बैठक में अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री, हिंदू पक्ष के पैरोकार डॉ. सोहनलाल आर्य, शृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी 4 महिलाएं और ट्रस्ट के अन्य सदस्य शामिल हुए जबकि इस केस से जु़ड़ी पांच वादिनी महिलाओं में से एक दिल्ली की राखी सिंह शामिल नहीं हुईं