बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद में केस की पोषणीयता पर आज 34 दिन बाद जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अघिवक्ता अभय कुमार यादव ने अपनी अघूरी दलील पेश किया। लेकिन कुछ ही देर में अदालत ने केस की अगली तारीख 12 जुलाई नियत कर दी। कहा कि अगली तारीख पर वाद के खारिज किए जाने के आधार को स्पष्ट करेंगे।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 के तहत अंजुमन कमेटी की ओर से पेश की जा रही दलील बता दें कि केस के पहले दिन से ही अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजंस) एक्ट, 1991 लागू होगा। माने, देश की आजादी के दिन धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, वही रहनी चाहिए। वहीं प्रतिवादी पक्ष की महिलाओं का दावा है कि ज्ञानवापी में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट- 1991 लागू नहीं होता क्योंकि आजादी के बाद 1991 तक ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी का नियमित दर्शन-पूजन होता रहा है। वहीं अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव अपनी दलील जारी रखेंगे। यहां ये भी बता दें कि अधिवक्ता अभय नाथ यादव आपत्ति के 52 में से 39 बिंदुओं पर दलीलें पेश कर चुके हैं।
राखी सिंह व अन्य महिलाओं ने 18 अगस्त 2021 को दायर की थी याचिका बता दें कि दिल्ली निवासी राखी सिंह व अन्य चार महिलाओं ने 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दायर किया था। इस केस में याची की ओर से मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन व और ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देव विग्रहों के संरक्षण की मांग की गई है। इस पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे भी हो चुका है। इतना ही नहीं सिविल जज के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाना और शौचालय को सील किया जा चुका है।
सिविल जज की कार्यवाही के बाद ही अंजुमन कमेटी गई थी सुप्रीम कोर्ट यहां ये भी बता दें कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के आदेश पर हुई कार्यवाही के बाद ही मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट गई और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जिला जज की अदालत में होने का आदेश दिया।