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वाराणसी

काशी ने खो दी एक महान विभूति, नहीं रहे काशी विश्वनाथ मंदिर व्यास पीठ पर आसीन केदारनाथ व्यास

-काशी के पुरोधा की अंतिम यात्रा में शामिल हुए नागरिक व राजनेता-नम आंखों से दी अंतिम विदायी

वाराणसीJan 11, 2020 / 03:15 pm

Ajay Chaturvedi

केदारनाथ व्यास

केदारनाथ व्यास

वाराणसी. काशी के प्रकांड विद्वान, पंचकोशात्मक ज्योतिर्लिंग काशीमाहात्म्य” और “अन्नपूर्णा कथा” जैसी रचनाओं के रचयिता रचयिता, काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी व्यासपीठ, ज्ञानकूप और ज्ञानवापी हाता के प्रबंधक रहे केदारनाथ व्यास नहीं रहे। शनिवार को काशी ने उन्हें नम आंखओं से भाव भीनी विदायी दी। अंतिम यात्रा में तमाम नागरिक, विद्वान और राजनेता भी शामिल हुए।
पंडित व्यास श्रृंगार गौरी के भी महंत रहे। साथ ही संस्कृत साहित्य के प्रकांड विद्वान रहे। उनकी चर्चित पुस्तक काशी खंडेक्त पंचकोशात्मक यात्रा का 16 भाषाओं में अनुवाद हुआ। वैसे उनकी कई पांडुलिपियां और अनेक ग्रंथ तो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की नींव में समा गए। बता दें कि दो साल पहले इसी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए आधी रात को उनका आवास भी गिरा दिया गया था जिसका मुआवजा अब तक नहीं मिला है। वह पास में एक मकान में किराए पर रह रहे थे। हाईकोर्ट में मुकदमा भी दायर किया है। अपना दर्द उन्होंने प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से बयां की। लेकिन कोई हल नहीं निकला।
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पंडित केदारनाथ व्यास के निधन की सूचना से काशी के नागरिकों में शोक की लहर दौड़ गई। शनिवार को अंतिम यात्रा से पहले श्रधांजलि अर्पित करने पहुंचे कांग्रेस नेता पूर्व मंत्री अजय राय, जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजेश्वर पटेल, महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे। इस मौके पर अजय राय ने कहा कि काशी ने अपने एक धरोहर को खो दिया। हम सब मर्माहत है इसलिए क्योंकि व्यास जी स्वयं में काशी की रचना थे। सनातन धर्म के जीवंत प्रतीक थे। साथ ही कहा की उनके अंतिम समय में शासन-प्रशासन द्वारा उनको अपमानित किया गया है। कहा कि वो व्यास जी जो कभी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, ज्ञानवापी परिसर के स्वामी हुआ करते थे। अब किराए के मकान में रह रहे हैं। व्यास जी का पुराना भवन जो काशी की धरोहर था उसे मंदिर प्रशासन जमींदोज कर चुका है। वह भी जबरन जिससे व्यास जी आहत थे,उन्ही के पुराने घर मे काशी शोध अनुसंधान संस्थान” चलता था,उनके घर मे करीब 40 देवी देवताओ की प्रतिमाएं थी, जो इस समय मे मलबे में समाहित है। अंतिम समय तक आत्मबली 87 वर्ष यह बुजुर्ग व्यास बुलंद आवाज में हमेशा पूछ रहे थे कि हमारे घर, मंदिर और पुस्तकों को मलवे में तब्दील करके तुम किसका और कैसा “विकास” करना चाहते हो आज हम अब मर्माहत व दुःखी है क्योंकि हम सब एक जीवंत धरोहर को खो दिया।
केदारनाथ व्यास के निधन पर शोक व्यक्त करते अजय राय
IMAGE CREDIT: patrika
महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा की काशी की एक सुबह का आज अंत हुआ है। हम सब दुःखी है क्योंकि काशी हमारे आत्मा से जुड़ी है और उसी आत्मा में केदारनाथ व्यास जी का वास था। कहा कि व्यास जी यह वह घर था जिसमें आजादी की पटकथा लिखी गई। आजादी से पहले एक बार महात्मा गांधी भी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने आए थे. मोतीलाल नेहरू, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू,समेत देश की कई विभूतिया मंदिर परिसर में जब भी आये व्यास जी से मुलाकात किये व इंग्लैंड, फ्रांस आदि देशों के अनेक विद्वान विमर्श करने आते थे।परन्तु शासन-प्रशासन ने उनको अपमानित किया उनके घर को धरोहर के रुप मे स्थापित करने उसे सहेजने के बजाय उनके घर को जमींदोज कर मलबा में तब्दील कर दिया आज हम सब उनके निधन पर मर्माहत है नम आंखों से श्रद्धा-सुमन अर्पित करते है।
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