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वाराणसी

अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन के बाद किसी भी दल का समीकरण बिगाड़ सकते हैं यह चार नेता, यह है जाति प्रतिशत

लोकसभा चुनाव में जातिगत वोटरों को साधने में होगी आसानी, कांग्रेस भी खेलेगी जाति का बड़ा कार्ड

वाराणसीJan 15, 2019 / 12:32 pm

Devesh Singh

Akhilesh Yadav and Mayawati

Akhilesh Yadav and Mayawati

वाराणसी. अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन ने यूपी की सियासत को पूरी तरह से बदल दिया है। यूपी की राजनीति में जिस पार्टी का जातिगत समीकरण हावी होगी। उस दल को जीत मिल सकती है। बीजेपी ने खुद जाति व धर्म कार्ड खेल कर यूपी की सत्ता पर कब्जा किया था और लोकसभा चुनाव 2019 को फिश्र से जीतने के लिए जातिगत वोटरों को बांधे रखने के लिए खास नेताओं की जरूरत होगी।
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यूपी में अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन के बाद यादव व जाटव वर्ग का बड़ा वोट सपा व बसपा खेमे में जाना लगभग तय हो गया है। आम तौर पर मुस्लिम वोटरों की धारणा होती है कि जो पार्टी या प्रत्याशी बीजेपी को हरा सकता है उसी को वोट देते हैं। सीट व समीकरण के अनुसार सपा व बसपा गठबंधन के साथ कांग्रेस प्रत्याशी भी मुस्लिम वोटरों का साथ पा सकते हैं। बीजेपी के लिए सबसे बड़ी परेशानी अपने परम्परागत वोटरों को बचाये रखने की है जिसके लिए पार्टी व सहयोगी दल के पांच ऐसा नेता है जो सपा व बसपा गठबंधन की काट खोज सकते हैं। खास तौर पर पिछड़े वर्ग का अधिक प्रतिशत जिस पार्टी की तरफ जायेगा। वह दल विजेजा बन कर उभरेगा।
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IMAGE CREDIT: Patrika
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या
यूपी में मौर्या वोटर सपा व बसपा के साथ जाते थे लेकिन बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्या को आगे करके इन वोटरों के बड़े वोट बैंक पर कब्जा किया है। बसपा ने आरएस कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष बना कर व सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्या के दामाद को पार्टी में शामिल करके इन वोटरों में सेंधमारी का प्रयास किया है लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पायी है। लोकसभा चुनाव में यह वोटर भी किसी दल का गठित बना व बिगाड़ सकते हैं। इस चुनाव में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का जादू चला तो बीजेपी को बड़ा लाभ होगा।
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ओमप्रकाश राजभर
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की बीजेपी से नाराजगी किसी से छिपी नहीं है। बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ के मंत्री अनिल राजभर को प्रमोट किया था लेकिन वह ओमप्रकाश राजभर जैस अपने जाति के नेता नहीं बन पाये। बीजेपी, सपा, बसपा व कांग्रेस के पास ओमप्रकाश राजभर का विकल्प नहीं है। गठबंधन में ओमप्रकाश राजभर रहते हैं तो इसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा। यदि ओमप्रकाश राजभर अलग होते हैं तो बीजेपी को नुकसान उठाना तय है।
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अनुप्रिया पटेल
बीजेपी के साथ पटेल वोटर जुड़ रहते थे लेकिन बीजेपी के एक सीएम ने जब से पटेलों के कद्दावर नेता ओमप्रकाश सिंह को हाशिये पर डाला था जब से बीजेपी को पटेल वोटरों के लिए अपना दल पर निर्भर रहना पड़ता है। अनुप्रिया पटेल नाराज भले है लेकिन बीजेपी के साथ ही चुनाव लडऩे क बात कह रही है। सपा भी पटेल वोटरों की ताकत को जानती है इसलिए नरेन्द्र उत्तम पटेल को सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है फिलहाल पटेल नेताओं में अनुप्रिया सब पर भारी पड़ रही है अपना दल जिसके साथ चुनाव लड़ेगा। उस दल को पटेल वोटरों का बड़ा प्रतिशत मिलना तय है।
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शिवपाल यादव
मुलायम सिंह यादव से राजनीतिक का कहकहरा सीखने वाले शिवपाल यादव ने सपा से अलग होकर अपनी नयी पार्टी बनायी है। अखिलेश यादव के बाद शिवपाल को ही यादव वर्ग का बड़ा नेता माना जाता है। सपा व बसपा का खेल बिगाडऩे में शिवपाल यादव सबसे कारगर सिद्ध हो सकते हैं। वर्तमान समय शिवपाल यादव व कांग्रेस के गठबंधन की चर्चा है। शिवपाल यादव जिस भी दल के साथ जाते हैं उसे यादव वोटरों का एक बड़ा प्रतिशत मिलना तय है।
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यूपी में पिछड़ों व दलित वोटरों का जातिगत प्रतिशत
प्राप्त जानकारी के अनुसार यूपी में 22 प्रतिशत दलित मतदाता है जिसमे से 14 प्रतिशत जाटव है जो बसपा सुप्रीमो मायावती से जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त बचे हुए आठ प्रतिशत में धोबी, खटिक, मुसहर, कोली, वाल्मिकी, गोंड आदि लगभग 60 जातियां आती है। यूपी में सबसे अधिक आबादी पिछड़ा वर्ग की है। सबसे अधिक 10 प्रतिशत वोटर यादव है इसके बाद कुर्मी व मौर्य वोटरों का प्रतिशत पांच है इसी क्रम में लोधी चार व जाट दो प्रतिशत है जबकि 19 प्रतिशत में मल्लाह, लोहार, प्रजापति, चौरसिया, राजभर, बिंद आदि आते हैं जो किसी का खेल बिगाड़ सकते हैं।
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