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सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की बीजेपी से नाराजगी किसी से छिपी नहीं है। बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ के मंत्री अनिल राजभर को प्रमोट किया था लेकिन वह ओमप्रकाश राजभर जैस अपने जाति के नेता नहीं बन पाये। बीजेपी, सपा, बसपा व कांग्रेस के पास ओमप्रकाश राजभर का विकल्प नहीं है। गठबंधन में ओमप्रकाश राजभर रहते हैं तो इसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा। यदि ओमप्रकाश राजभर अलग होते हैं तो बीजेपी को नुकसान उठाना तय है।
बीजेपी के साथ पटेल वोटर जुड़ रहते थे लेकिन बीजेपी के एक सीएम ने जब से पटेलों के कद्दावर नेता ओमप्रकाश सिंह को हाशिये पर डाला था जब से बीजेपी को पटेल वोटरों के लिए अपना दल पर निर्भर रहना पड़ता है। अनुप्रिया पटेल नाराज भले है लेकिन बीजेपी के साथ ही चुनाव लडऩे क बात कह रही है। सपा भी पटेल वोटरों की ताकत को जानती है इसलिए नरेन्द्र उत्तम पटेल को सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है फिलहाल पटेल नेताओं में अनुप्रिया सब पर भारी पड़ रही है अपना दल जिसके साथ चुनाव लड़ेगा। उस दल को पटेल वोटरों का बड़ा प्रतिशत मिलना तय है।
मुलायम सिंह यादव से राजनीतिक का कहकहरा सीखने वाले शिवपाल यादव ने सपा से अलग होकर अपनी नयी पार्टी बनायी है। अखिलेश यादव के बाद शिवपाल को ही यादव वर्ग का बड़ा नेता माना जाता है। सपा व बसपा का खेल बिगाडऩे में शिवपाल यादव सबसे कारगर सिद्ध हो सकते हैं। वर्तमान समय शिवपाल यादव व कांग्रेस के गठबंधन की चर्चा है। शिवपाल यादव जिस भी दल के साथ जाते हैं उसे यादव वोटरों का एक बड़ा प्रतिशत मिलना तय है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार यूपी में 22 प्रतिशत दलित मतदाता है जिसमे से 14 प्रतिशत जाटव है जो बसपा सुप्रीमो मायावती से जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त बचे हुए आठ प्रतिशत में धोबी, खटिक, मुसहर, कोली, वाल्मिकी, गोंड आदि लगभग 60 जातियां आती है। यूपी में सबसे अधिक आबादी पिछड़ा वर्ग की है। सबसे अधिक 10 प्रतिशत वोटर यादव है इसके बाद कुर्मी व मौर्य वोटरों का प्रतिशत पांच है इसी क्रम में लोधी चार व जाट दो प्रतिशत है जबकि 19 प्रतिशत में मल्लाह, लोहार, प्रजापति, चौरसिया, राजभर, बिंद आदि आते हैं जो किसी का खेल बिगाड़ सकते हैं।
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