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वाराणसी

महागठबंधन के लिए मायावती ने रखी ये शर्त, सहयोगी दल सकते में

2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बन रहा है गठबंधन। बसपा सुप्रीमों चाहती क्या हैं….

वाराणसीJul 22, 2018 / 04:09 pm

Ajay Chaturvedi

मायावती

मायावती

वाराणसी. लोकसभा चुनाव 2019 सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष के लिए भी खासा महत्वपूर्ण है। ऐसे में सभी दल की ओर से सियासी चाल चली जाने लगी है। मोहरे बिठाए जाने लगे हैं। गठबंधन के मुद्दे पर सबकी निगाह टिकी है तो गठबंधन को लेकर हर दिन एक नई सूचना भी आ रही है। कुछ सुखद तो कुछ चौंकाने वाले। यूपी या उत्तर भारत की बात करें तो सबकी निगाहें बसपा, सपा, कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूम रही है। इन तीनों के बीच कैसा गठबंधन होगा। सीटों का बंटवारा कैसे होगा। इन सभी मसलों पर माथापच्ची जारी है। ऐसे में बसपा सुप्रीमो मायावती के ताजे बयान को लेकर सियासी हल्कों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। जहां तक राजस्थान और मध्य प्रदेश का सवाल है तो कांग्रेस अब तक के अपने प्रदर्शन से काफी उत्साहित है। उसे लग रहा है कि वह अकेले दम पर इन दोनों राज्यों में सरकार बना लेगी। उधर सपा भी मध्य प्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में है। वहीं छत्तीसगढ़ में बसपा का पलड़ा भारी है। ऐसे में महागठबंधन को लेकर तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। ऐसे में अब खबर है कि बहुजन समाज पार्टी चाहती है कि अगर गठबंधन हो तो तीनों राज्यों में भी हो वरना नहीं। उधर इस पर कांग्रेस के विचार कुछ और ही हैं। कांग्रेस को लगता है कि वह राजस्थान में आसानी से जीत सकती है। इसके इस फैसले को लेकर मायावती थोड़ा असमंजस में है। उधर कांग्रेस में भी इन मुद्दों को लेकर कशमकश जारी है। हालांकि कांग्रेस चाहती है कि 2019 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी बनाम देश की सभी पार्टियां के बीच हो।
उधर बसपा नेताओं का दावा है कि इस समय देश में मायावती ही एक मात्र ऐसी नेता हैं जो भारतीय जनता पार्टी को दोबारा सत्ता में आने से रोक सकती हैं और उन्हें क्षेत्रीय पार्टियों का भी समर्थन हासिल है। उनका कहना है कि इसी सिलसिले में लखनऊ और कानपुर मंडल के पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में सैकड़ों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था। इस सम्मेलन की शुरुआत पार्टी अध्यक्ष मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के संकल्प और आह्वान के साथ की गई थी। हालांकि इस सम्‍मेलन में खुद मायावती शामिल नहीं हुईं थी।
बता दें कि इस वक्त कर्नाटक में कांग्रेस और बीएसपी एक साथ हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले से ही विपक्षी नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि कांग्रेस और बसपा को साथ-साथ चुनाव लड़ना चाहिए लेकिन ऐसा हो न सका। कांग्रेस को तब लगा था कि वह अकेले दम पर अपनी सरकार को बचा लेगी। चुनाव बाद हुए सियासी ड्रामें के बाद आखिर कांग्रेस को बसपा के साथ जुड़ना ही पड़ा। आज वहां बहुजन समाज पार्टी आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के साथ गठबंधन में है। कर्नाटक में कांग्रेस समर्थ‌ित एचडी कुमारस्वामी की सरकार है, जिसमें एक मंत्री बीएसपी का भी है। ऐसे में अब मायावती का जोर है कि या तो मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी कांग्रेस गठबंधन करे या फिर गठबंधन की बात ही बंद हो। केवल लोकसभा के लिए गठबंधन उनकी नजर में ज्यादा सफल नहीं होगा। भाजपा को अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए विधानसभा चुनावों में भी गठबंधन कर उसे मात देना पड़ेगा। अब जल्द ही इस मुद्दे पर सपा, बसपा और कांग्रेस की साझा बैठक होने जा रही है जिसे खुद मायावती आयोजित कर रही हैं।

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