इस दिन चंद्रमा शत तारका (शतभिषा) नक्षत्र, धृति योग और कुंभ राशि में रहेगा। भाद्रपद की पूर्णिमा का एक दिन और अश्विन कृष्णपक्ष के 15 दिन को मिलाकर 16 दिन के श्राद्ध होते हैं। ये संयोग 20 साल बाद बना है, जब शनिवार को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या आ रही है।
शत तारका नक्षत्र पंचक का नक्षत्र है। यह शुक्ल पक्षीय है। ये नक्षत्र कई तरह के कष्टों को दूर करने वाला माना गया है। खासकर जब यह विशेष पर्व काल में शुक्ल पक्षीय हो तथा नक्षत्र के स्वामित्व पर शुभ ग्रहों का संयुक्त दृष्टिक्रम हो। पंचांग के पांच अंगों में क्रमश: पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रमा, शततारका नक्षत्र के स्वामी वरुण देव व धृति योग के स्वामी जल देवता कहे गए हैं। पितृ जल से तृप्त होकर पिंडों से संतुष्ट होकर सुख शांति व समृद्धि के साथ वंश परंपरा को आगे बढ़ाने का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए शततारका नक्षत्र में श्राद्धपक्ष की शुरुआत शुभदायी है। 20 साल बाद सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को आएगी। 1999 में यह संयोग बना था, जब सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को आई थी। शनिश्चरी अमावस्या पर इंदौर रोड स्थित त्रिवेणी पर स्नान होता है।
ऐसे करें पूर्वजों का श्राद्ध
जिस दिन पूर्वज की श्राद्ध तिथि होती है, उस दिन उनका श्राद्ध करने का विधान है। इसलिए तिथि के अनुसार श्राद्ध का दिन तय किया जाता है।
13 सितंबर- पूर्णिमा का श्राद्ध
14 सितंबर- सुबह 10.30 बजे तक पूर्णिमा, इसके बाद प्रतिपदा
15 सितंबर- दोपहर 12.25 तक प्रतिपदा, इसके बाद द्वितीया
16 सितंबर- दोपहर 2.35 तक द्वितीया, इसके बाद तृतीया
17 सितंबर – तृतीया का श्राद्ध
18 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध 19 सितंबर- पंचमी का श्राद्ध
20 सितंबर- षष्टी का श्राद्ध 21 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध
22 सितंबर- अष्टमी का श्राद्ध 23 सितंबर- नवमी का श्राद्ध
24 सितंबर- दशमी का श्राद्ध 25 सितंबर- एकादशी का श्राद्ध
26 सितंबर- द्वादशी व त्रियोदशी का श्राद्ध
27 सितंबर- चतुर्दशी का श्राद्ध
28 सितंबर- सर्वपितृ अमावस्या।
जिस दिन पूर्वज की श्राद्ध तिथि होती है, उस दिन उनका श्राद्ध करने का विधान है। इसलिए तिथि के अनुसार श्राद्ध का दिन तय किया जाता है।
13 सितंबर- पूर्णिमा का श्राद्ध
14 सितंबर- सुबह 10.30 बजे तक पूर्णिमा, इसके बाद प्रतिपदा
15 सितंबर- दोपहर 12.25 तक प्रतिपदा, इसके बाद द्वितीया
16 सितंबर- दोपहर 2.35 तक द्वितीया, इसके बाद तृतीया
17 सितंबर – तृतीया का श्राद्ध
18 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध 19 सितंबर- पंचमी का श्राद्ध
20 सितंबर- षष्टी का श्राद्ध 21 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध
22 सितंबर- अष्टमी का श्राद्ध 23 सितंबर- नवमी का श्राद्ध
24 सितंबर- दशमी का श्राद्ध 25 सितंबर- एकादशी का श्राद्ध
26 सितंबर- द्वादशी व त्रियोदशी का श्राद्ध
27 सितंबर- चतुर्दशी का श्राद्ध
28 सितंबर- सर्वपितृ अमावस्या।