पार्टी के जिलाध्यक्ष डॉ पीयूष यादव ने पत्रिका से हुई खास बातचीत में इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि आगामी 20 दिसंबर से प्रदेश भर में मतदाता पुनरीक्षण अभियान शुरू होने जा रहा है। इसके लिए जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से बूथवार बीएलओ की नियुक्ति होगी। ठीक उसी तर्ज पर पार्टी भी जिला निर्वाचन कार्यालय के समानांतर पार्टी स्तर पर बूथवार बीएलओ की तैनाती करेगी। हर बूथ पर एक बीएलओ होने की सूरत में मतदाता सूची तो दुरुस्त होगी ही। मतदाता सूची दुरुस्त करने के दरम्यान बीएलओ अपने-अपने भाग संख्या की पुरानी मतदाता सूची को लेकर घर-घर जाएगा और पता लगाएगा कि किन नए लोगों के नाम जोड़े जाने हैं, ऐसे कौन लोग हैं जिनका निधन हो गया है या उन्होंने घर बदल दिया है। ऐसे में नए और युवा मतदाता भी जुड़ेंगे मतदाता सूची से। इस कोशिश में पार्टी का बीएलओ पार्टी के लिए नए मतदाता तो बनाएगा ही साथ ही पार्टी के ऐसे परंपरागत मतदता जो अंतिम समय में मतदान से इसलिए वंचित हो जाते थे कि उनका नाम ही मतदाता सूची में नहीं होता था उनके नाम भी मतदाता सूची से जुड़ जाएंगे। इस तरह हर बूथ पर पार्टी के वोटबैंक में इजाफा होगा।
उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं पार्टी के शीर्ष नेताओं ने जिला व महानगर अध्यक्षों, वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर यह तय किया है कि पार्टी पोलिंग स्टेशन अध्य़क्ष बनाया जाए। साथ ही स्थाई बूथ एजेंट नियुक्त कर दिए जाएं। इस संबंध में पार्टी नेतृत्व को 20 दिसंबर तक हर जिले व महानगर इकाई द्वारा पार्टी नेतृत्व को सूची भेजनी है। डॉ यादव ने कहा कि यह फीडबैक हम लोगों ने विधानसभा चुनाव के बाद संगठनात्मक चुनाव के दौरान ही पार्टी नेतृत्व को दिया था। दरअसल उसके तुरंत बाद निकाय चुनाव आ गए लिहाजा इस पर मुकम्मल तौर पर काम नहीं हो पाया। लेकिन अब लोकसभा चुनाव के लिए काफी समय है, ऐसे में चुनाव आते-आते इस नई स्ट्रेटजी पर काम हो जाएगा।
जिला अध्यक्ष ने बताया कि पार्टी का समर्पित बीएलओ होगा तो पार्टी नेतृत्व उस पर दबाव भी बनाएगी साथ ही वह खुद भी पूरी ईमानदारी से काम करेगा। पार्टी के बीएलओ की सक्रियता से सरकारी बीएलओ भी ठीक से काम करेंगे। एक तरह से पार्टी का बीएलओ उनके कामों की मानीटरिंग भी कर पाएगा। इस तरह जिला व महानगर अध्यक्ष की पकड़ सीधे तौर पर बूथ स्तर तक हो पाएगी। अभी तक तो ज्यादा से ज्यादा विधानसभा स्तर तक ही जिला व महानगर अध्यक्ष की पकड़ हो पाती थी। दूसरे इससे बूथवार वोटबैंक भी बढ़ेगा। ज्यादा से ज्यादा यूथ मतदाताओं को पार्टी से जोड़ा जा सकेगा। वो ऐसे मतदाता होंगे जो पहली बार लोकसभा चुनाव में मतदान करेंगे।