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वाराणसी

अब काशी में सदियों पुरानी गुरुकुल परम्परा भी ऑनलाइन, छात्रों को मिल रही वेदों की शिक्षा

लॉकडाउन से प्रभावित हो चुकी गुरुकुल परम्परा ने भी ऑनलाइन शिक्षा की ओर रुख किया है। मोबाइल व लैपटॉप के माध्यम से गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्र वेदों और संस्कृत भाषा का ज्ञान धर्म नगरी काशी से विद्वानों के जरिये प्राप्त कर रहे हैं

वाराणसीMay 15, 2020 / 12:33 pm

Karishma Lalwani

अब काशी में सदियों पुरानी गुरुकुल परम्परा भी ऑनलाइन, लॉकडाउन के बीच हो रहा दो सदियों का मिलन

अब काशी में सदियों पुरानी गुरुकुल परम्परा भी ऑनलाइन, लॉकडाउन के बीच हो रहा दो सदियों का मिलन

वाराणसी. दुनिया के सबसे प्राचीन शहर काशी में लॉकडाउन ने परंपराओं पर गहरा आघात किया है। यहां सैकड़ों साल पुरानी गुरुकुल व्यवस्था को शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। दरअसल, लॉकडाउन में स्कूल कॉलेज बंद होने के कारण विद्यार्थियों की शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ रहा है। हालांकि, तकनीकी सेवा की मदद से शिक्षा में पड़ने वाली रुकावटों को दूर करने का प्रयास जरूर किया जा रहा है। छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा दी जाती है, जो कि इन दिनों विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का अहम स्त्रोत बना हुआ है। ऐसे में लॉकडाउन से प्रभावित हो चुकी गुरुकुल परम्परा ने भी ऑनलाइन शिक्षा की ओर रुख किया है। मोबाइल व लैपटॉप के माध्यम से गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्र वेदों और संस्कृत भाषा का ज्ञान धर्म नगरी काशी से विद्वानों के जरिये प्राप्त कर रहे हैं। अब गुरुजी अपने शिष्यों को वेद ज्ञान विज्ञान की शिक्षा देकर उनके भविष्य को संवारने में जुटे हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफ़ेसर श्री राम नारायण द्विवेदी ने बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसे लेकर घटों काम करना शुरू कर दिया है। वे बच्चे जो लॉकडाउन में अपने घर जा चुके हैं या ऐसे विद्यार्थी जो मठों में फंसे हुए हैं, उनके लिए गुरुकुल से ही ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है। मोबाइल व लैपटॉप के माध्यम से गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्र वेदों और संस्कृत भाषा का ज्ञान ले रहे हैं।
ऐप से मिल रही शिक्षा

प्रो. द्विवेदी ने बताया की काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वेदों की शिक्षा लगातार जारी है। जब लॉकडाउन के कारण पढ़ाई पूरी तरह से ठप पड़ गई, तब ऑनलाइन शिक्षा का सहारा लिया। उनका कहना है कि उन्हें इस आधुनिक ब्लैक बोर्ड का ज्ञान नहीं था, लेकिन क्योंकि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी होती है, ऐसे में उन्होंने वीडियो की जानकारी ली और देश विदेश में रहने वाले छात्रों को इससे जोड़ा।
आसान हुई छात्रों की मुश्किल

गुरुकुल की तरफ से की जा रही इस व्यवस्था से देश विदेश के साथ ही काशी में ही रहने वाले विद्यार्थियों के चेहरे पर भी मुस्कान आई। वेदों और संस्कृत भाषा का शिक्षा लेने वाले कई छात्र लॉकडाउन में भी अपनी पढ़ाई पूरी कर पा रहे हैं। वेदों के शिक्षा की इस आवश्यकता ने दो युगों का मिलन कराया जिसमें पुरातन विधि के साथ ही अब आधुनिकता का भी मेल हो रहा है।

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