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वाराणसी

लॉकडाउन इफेक्ट: श्रीराम रमापति बैंक में इस बार नहीं जमा हुआ कोई ‘धन’

लॉकडाउन की वजह से काशी में रोजाना कोई न कोई परम्परा टूट रही है। इसी कड़ी में एक और पाम्परा टूटी श्रीराम रमापति बैंक में इस बार राम नाम रुपी धन नहीं जमा हुए।

वाराणसीApr 03, 2020 / 08:27 pm

Mahendra Pratap

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वाराणसी. लॉकडाउन की वजह से काशी में रोजाना कोई न कोई परम्परा टूट रही है। इसी कड़ी में एक और पाम्परा टूटी श्रीराम रमापति बैंक में इस बार राम नाम रुपी धन नहीं जमा हुए।
जीहां, नगर के मानमंदिर मोहल्ले में श्रीराम रमापति बैंक है। इस बैंक में प्रतिवर्ष सैकड़ों लोग राम नाम जमा करते हैं। प्रतिवर्ष रामनवमी के दिन यहां विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। बैंक में अब तक जमा हो चुके 19 अरब, 34 करोड़ 56 लाख 75 हजार राम नाम की परिक्रमा की जाती है, लेकिन इस वर्ष राम रमापति बैंक के संस्थापक परिवार के सदस्यों ने ही पूजन-अर्चन किया। शहर का कोई और सदस्य इस मंदिर में नहीं जा सका। कारण सिर्फ एक था की कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से लोगों को बचाया का सके।
इस सम्बन्ध में बैंक के प्रबंधक दास कृष्णचंद ने बताया कि 93 वर्ष पूर्व उनके परदादा ने एक सन्त के कहने पर अपने घर में ही इस बैंक की स्थापना की थी। अब इस राम नाम बैंक का परिसर बड़ा हो गया है। मान्यता है की यहां राम नवमी के दिन व रात को राम नाम जमा से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम कष्ट हरते हैं।
जानें कैसे जमा होता है रामनाम :- रामनवमी की तिथि पर ही नए खाताधारकों को राम नाम लिखने के लिए किरमिच की कलम, लाल स्याही और श्वेत कागज प्रदान किए जाते थे। व्रत लेकर पूरे वर्ष लिखे गए राम नाम रामनवमी के दिन ही बैंक में जमा किए जाते हैं। हर साल के जमा नाम जुड़ते रहने हैं पर इस साल ये परम्परा की कोरोना खतरे के भेंट चढ़ गई।
नगरवधुएं नहीं दे स्कीन बाबा मसान को नृत्यांजलि :- इसके पहले भी कोरोना के कहर के कारण जलती चिताओं पर हर साल होने वाले बाबा मसान नाथ के वार्षिक श्रृंगार उत्सव पर नगर बधुएं उन्हें नृत्यांजलि नहीं दे सकीं थीं। क्योंकि निस तरह के किसी नही आयोजन पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है।
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