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वाराणसी

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर तोडे गए मंदिरों की मूर्तियों की फिर होगी स्थापना

बीएचयू में बोले विश्वनाथ कॉरिडोर के CEO विशाल सिंह
-विश्वनाथ कॉरिडोर के परियोजना में 43 मंदिरों को चिन्हित किया गया-ऐतिहासिकता का ध्यान रखते हुए उन्हें मूल स्वरूप में रखने की है कोशिश-विश्वनाथ कॉरिडोर होगा काशी की पुरातन संस्कृति, अध्यात्म, कला आदि से परिचित होने का महत्वपूर्ण केंद्र -सितंबर 2021 तक तैयार होगा विश्वनाथ कॉरिडोर-पांच लाख वर्ग फीट में तैयार होगी परियोजना

वाराणसीJul 13, 2019 / 03:02 pm

Ajay Chaturvedi

प्रस्तावित विश्वनाथ कॉरिडोर (फाइल फोटो)

प्रस्तावित विश्वनाथ कॉरिडोर (फाइल फोटो)

वाराणसी. विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के सर्वेक्षण के दौरान कुल 43 मंदिरों को चिन्हित किया गया है। कॉरिडोर के निर्माण के दौरान इन मंदिरों के ऐतिहासिक स्वरूप का ध्यान रखते हुए उन्हें या तो उनके मूल स्वरूप में रखा जायेगा अथवा धार्मिक परंपराओं के अनुरूप पुनःप्रतिष्ठित किया जायेगा। यह कहना है काशी विश्वनाथ मंदिर और कॉरिडोर के सीईओ व वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव विशाल सिंह का। वह शनिवार को बीएचयू के कामधेनु सभागार में काशी मंथन द्वारा आयोजित ”काशी विश्वनाथ कॉरिडोर : मिथ्या, तथ्य, चुनौतियां और संभावनाएं” विषयक विशेष व्याख्यान दे रहे थे। व्याख्यान में मौजूद लोगों के कॉरिडोर निर्माण के दौरान पुराने मंदिरों को तोड़ने व उनके ऐतिहासिक स्वरूपों से छेड़छाड़ के बाबत पूछे गए सवाल सवाल का जबाब देते हुए उन्होंने यह जानकारी दी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर बनारस में पिछले दो साल से विरोध चल रहा है। स्थानीय नागरिकों ने भी इसे लेकर लंबे अरसे तक आंदोलन चलाया। मामला हाईकोर्ट में भी गया। लोग अब भी इसे लेकर भ्रम की स्थिति में हैं। इस परियोजना के नाम पर प्राचीन घरों और मंदिरों को जिस तरह से तोड़ा गया उसे लेकर ज्योतिष एवं शारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती से शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने लंबा आंदोलन चलाया। उन सभी शंकाओं के समाधान के लिए विशाल सिंह को बीएचयू में व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया था।
काशी मंथन को संबोधित करते विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह
उन्होंने बताया कि परियोजना सितंबर 2021 तक पूरी होगी। पांच लाख वर्गफीट में फैली इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद लोगों को ना सिर्फ विश्वनाथ मंदिर तथा उसके परिक्षेत्र में फैले अन्य ऐतिहासिक मंदिरों के दर्शन में सहूलियत होगी बल्कि इस कॉरिडोर के माध्यम से उन्हे काशी की पुरातन संस्कृति, अध्यात्म, कला आदि से परिचित होने के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र मिलेगा।
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काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों, कर्मचारियों के अलावा शहर के नागरिक से भरे हाल में श्रोताओं के सवालों से शुरू हुए सत्र में सिंह ने एक-एक प्रश्नों का उत्तर देते हुए विश्वनाथ कॉरिडोर से जुड़ी तमाम भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया। इस दौरान वीडियो, चित्रों, नक्शों और प्रेजेंटेशन आदि के माध्यम से उन्होंने कॉरिडोर की रूपरेखा उसके उद्देश्य तथा उसके क्रियान्वयन में आई अड़चनों का जिक्र करते हुए प्रोजेक्ट से जुड़ी हर तरह की भ्रांतियों को मिटाने की कोशिश की।
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काशी मंथन को संबोधित करते विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह
इस मौके पर विश्वविद्यालय के संयुक्त कुलसचिव और काशी मंथन के संयोजक डॉ. मयंक नारायण सिंह ने अतिथियों का स्वागत करने के साथ ही व्याख्यान की विषय वस्तु की जानकारी दी। बताया कि काशी मंथन का उद्देश्य आम जनमानस के अवचेतन को राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के सामरिक हितों को लेकर जागरूक करना है।
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इस अवसर पर डॉ. क्षिप्रा धर, दिव्या सिंह, विश्वविद्यालय के छात्र अधिष्ठाता प्रो. एम. के. सिंह, प्रो. डी. सी. राय, डॉ. अभिषेक पांडेय, प्रो. आर.एन. राय, डॉ. प्रवीण राणा, डॉ. नेहा पांडेय, डॉ. बाला लखेन्द्र, डॉ. धीरेंद्र राय, विक्रान्त कुशवाहा, डी. गांगुली, अदिति, रजित, प्रो. अभिमन्यु सिंह, प्रो. प्रदोष मिश्रा सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। संचालन डॉ. पंकज सिंह ने किया जबकि डॉ. सुनील तिवारी ने आभार जताया।

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