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एनओसी के फेर में अटका अण्डरपास, साढ़े 12 साल से कर रहे हैं इंतजार

बस्सी. शहर में वर्ष-2012 में तत्कालीन सरकार ने जयपुर-दिल्ली रेलवे ट्रैक पर रेलवे ओवरब्रिज के साथ ही करीब 9 करोड़ रुपए की लागत से अण्डरपास बनाने की योजना स्वीकृत की थी। जिसमें आरओबी तो ढाई वर्ष पहले चालू हो गया, लेकिन अण्डरपास का निर्माण आज तक नहीं हुआ। संवेदक की माने तो अण्डरपास निर्माण के […]

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बस्सी. शहर में वर्ष-2012 में तत्कालीन सरकार ने जयपुर-दिल्ली रेलवे ट्रैक पर रेलवे ओवरब्रिज के साथ ही करीब 9 करोड़ रुपए की लागत से अण्डरपास बनाने की योजना स्वीकृत की थी। जिसमें आरओबी तो ढाई वर्ष पहले चालू हो गया, लेकिन अण्डरपास का निर्माण आज तक नहीं हुआ। संवेदक की माने तो अण्डरपास निर्माण के लिए रेलवे से एनओसी नहीं मिल पाई है, जिससे निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। जानकारी अनुसार बस्सी शहर में आरओबी नहीं बनने से पहले रेलवे फाटक बहुत बड़ी समस्या थी। लोगों को आरओबी से घूमकर आना पड़ता है

। आरओबी के निर्माण के लिए शहरवासियों ने काफी संघर्ष किए थे, तब जाकर आरओबी का निर्माण हो पाया था। इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने करीब 33 करोड़ रुपए आरओबी के लिए स्वीकृत किए थे और करीब 9 करोड़ रुपए अण्डरपास के लिए स्वीकृत किए था। सितम्बर 2022 में आरओबी तो बनकर तैयार हो गया। लेकिन अण्डरपास आज तक नहीं बना। जबकि भाजपा की वर्तमान सरकार ने गत वर्ष फरवरी में शिलान्यास भी कर दिया था। लेकिन निर्माण शुरू नहीं किया गया।

अण्डरपास नहीं बनने से परेशानी दिल्ली-जयपुर रेलवे ट्रैक पर बस्सी शहर में आरओबी के पास बनने वाला अण्डरपास नहीं बनने से शहर की कल्याण कॉलोनी, नन्द विहार, खारवाल कॉलोनी, विजय कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी, ओजट कॉलोनी, प्रभु कॉलोनी व नांदोलाई इलाके के लोगों को फाटक बंद रहने से फेर खाकर आवागमन करना पड़ता है। सारण व गंगाधाम से करना पड़ता है आवागमन आरओबी का निर्माण तो जयपुर-गंगापुर स्टेट हाईवे पर आवागमन करने वाले वाहन व पूरे शहर के लोगों के लिए बनाया था।

जबकि अण्डरपास का निर्माण रेलवे ट्रेक के पास की कॉलोनियों के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए स्वीकृत किया था, लेकिन रेलवे ट्रेक के आसपास की कॉलोनियों में निवास करने वाले लोगों को बस्सी शहर की ओर आरओबी से नीचे उतरकर गंगाधाम मोड़ एवं चक की ओर पुलिया से नीचे उतर कर सारण तिराहे से घूमकर जाना पड़ रहा है। (कासं)

फैक्ट फाइल स्वीकृत : 2012

टेंडर: 2016

वर्क ऑडर : 2017

लागत : 9 करोड़

इनका कहना है…

रेलवे ट्रैक पर अण्डरपास बनाने के लिए जेडीए ने वर्ष 2016 में टेंडर कर दिए थे। इसके बाद वर्ष 2017 में वर्क ऑर्डर भी जारी हो गया था, लेकिन रेलवे की ओर से एनओसी नहीं मिलने से निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

– नीरव पटेल, संवेदक, जेडीए

शहरवासियों की जुबानी…. आरओबी के बगल में पेट्रोल पम्प है। लोगों को कॉलोनियों के घूमकर आना पड़ता है, इससे सड़क दुघर्टना का अंदेशा रहता है। अण्डर पास बनना बहुत ही जरूरी है, इससे शहर की बड़ी समस्या का समाधान होगा।

– भूपेश गुप्ता, बस्सी

– अण्डरपास नहीं बनने से कई कॉलोनियों के लोगों को आरओबी पर चक्कर काटकर आना पड़ता है। इससे लोगों को करीब डेढ़ किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है।

सुधीर दोपहरिया, बस्सी

– शहर में रेलवे ट्रैक क्रॉस करने में दिक्कत आती है। चिंता की बात है कि साढ़े 12 वर्ष बाद भी जेडीए ने अण्डरपास नहीं बनाया है। एक दर्जन कॉलोनियों के लोग परेशान है। देशबंधु शर्मा, बस्सी

– आरओबी व अण्डरपास साथ-साथ स्वीकृत हुए थे, लेकिन अभी तक अण्डरपास नहीं बन पाया। इस मार्ग से सौ से अधिक ट्रेन गुजरती हैं, फाटक अधिकांश समय बंद रहता है। अण्डरपास बनने से ही लोगों को काफी फायदा हो सकता है।

– रमेश चंद सिंघाडि़या, बस्सी