कलेक्टर डॉ जैन ने बताया कि कोरोना मरीजों के संपर्क में अन्य मरीज या उनके परिजन न आएं, इसका पूरा ध्यान रखा गया है। इसलिए जिला अस्पताल के पीछे वाले हिस्से में बैसमेंंट से कोरोना मरीजों को प्रवेश मिलेगा। ये मरीज सीधे लिफ्ट के माध्यम से वार्ड में पहुंचेंगे। उन्हें लाने वाली विशेष 108 एम्बूलेंस को मरीज के उतरते ही सेनेटाइज कर रवाना कर दिया जाएगा।
डॉ जैन ने बताया कि जिला अस्पताल की दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल को कोरोना अस्पताल के रूप में तब्दील किया है। इनमें 5-5 फीट की दूरी पर 250 पलंग रखे गए हैं, जिनमें ऑक्सीजन, गद्दे आदि की पूरी व्यवस्था कर दी गई है। इनमें से 10 पलंग आइसीसीयू के भी शामिल हैं। लिफ्ट की व्यवस्था भी ऐसी की गई है कि कोरोना वार्डों से आने-जाने वाले मरीज सामान्य ओपीडी या अन्य किसी वार्ड में नहीं जा सकेेंगे। जिला अस्पताल का पहला मंजिल सामान्य मरीजों के लिए खुला रहेगा, लेकिन कोरोना अस्पताल के हिस्से से उसका कोई संपर्क नहीं रहेगा।
कलेक्टर डॉ पंकज जैन ने बताया कि यहां कोरोना के मरीजों को देखने और उनका उपचार करने के लिए चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ की टीमें गठित की गई हैं जो 7-7 दिन सेवाएं देंगीं। सात दिन सेवाएं देने के बाद उस टीम के डॉक्टर और स्टॉफ को 14 दिन के कोरेन्टाइन में रखने का इंतजाम किया गया है।
कलेक्टर डॉ जैन के अनुसार कोरोना के मरीजों को चार श्रेणियों में विभाजित किया जा रहा है-
श्रेणी 1- इस श्रेणी के मरीज वे होंगे जो किसी के संदिग्ध या पॉजीटिव के संपर्क में तो आए हैे, लेकिन उनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं है। उनकी टेस्ट रिपोर्ट भी पॉजीटिव नहीं आई हो।
डॉ जैन ने बताया कि कोरोना के मूलत: चौथी श्रेणी के गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल के कोरोना वार्डों में ही रखा जाएगा, लेकिन तीसरी श्रेणी के मरीजों को रखने का इंतजाम गंजबासौदा और सिरोंज में भी किया जा रहा है।
कलेक्टर का मानना है कि यह कोरोना संक्रमण का थर्ड फेस है और जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग हो और सैम्पल जांच के लिए भेजे जाएं। गुरूवार को दस सैम्पल जांच के लिए भेजे गए हैं, अब रोजाना कम से कम 10 सैम्पल जांच के लिए भेजे जाएंगे।