वीडियो में सरपंच प्रतिनिधि को मनरेगा एपीओ ने काम स्वीकृति के लिए कमीशन का रेट बताया है। एक वीडियो में मनरेगा एपीओ यह कहते सुने जा रहे हैं कि सड़क की स्वीकृति के लिए पच्चीस हजार रुपये व तालाब का काम शुरू कराने के लिए पांच हजार रुपये कमीशन देने होंगे। कमीशन के बिना काम नहीं होने की बात कहते हुए एपीओ ने सरपंच को एक पूर्व विधायक का नाम लेते हुए कहा कि वह अपना काम 15 प्रतिशत में देते थे, 14 प्रतिशत में भी कोई उनसे काम स्वीकृत नहीं करा पाता था। हालांकि, वीडियो में ही बातचीत के दौरान सरपंच प्रतिनिधि दावा करते हैं कि पूर्व विधायक निशंक जैन, जिला पंचायत सदस्य गीता बाई, जनपद सदस्य राजकुमारी साहू ने उनसे काम के बदले एक भी रुपये नहीं लिए लेकिन एपीओ अपनी बात पर ही अड़े रहते हैं।
वीडियो में सरपंच प्रतिनिधि कमीशन कुछ कम करने की जब बात करते हैं तो एपीओ उनको कुछ नाम लेकर कहते हैं कि दोनों ने रेट बिगाड़ दिए हैं। आरोपी एपीओ वीडियो में यह दावा कर रहे हैं कि कमीशन देने के बाद तीन से चार दिन में काम स्वीकृत हो जाएगा।
सांसद विधायक बिना कमीशन के काम नहीं देते! सरपंच प्रतिनिधि को बिना कमीशन के काम स्वीकृत नहीं होने के बारे में समझाते हुए आरोपी मनरेगा एपीओ साफ बताते हुए देखे जा सकते हैं कि सांसद-विधायक किस तरह और कितना कमीशन लेते हैं। एपीओ ने कहा है कि सांसद-विधायक से कोई काम स्वीकृत कराने पर 25 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है। इससे कम पर वह लोग मानते नहीं। वह विदिशा के ही पूर्व विधायक कल्याण सिंह ठाकुर का नाम लेते हुए कहते हैं कि वह पंद्रह प्रतिशत के बिना काम स्वीकृत नहीं करते थे। अगर 14 प्रतिशत भी कमीशन है तो काम नहीं देते थे। जबकि वीडियो में अपना नाम आते ही पूर्व विधायक कल्याण सिंह ठाकुर ने कमीशन लेने की बात को खारिज करते हुए मनरेगा एपीओ पर मानहानि का दावा करने की बात कही है।
उधर, यह मामला सामने आते ही प्रशासनिक व सत्ता के गलियारे में हड़कंप मच गया है। जिला पंचायत विदिशा के सीईओ मयंक अग्रवाल ने एक जांच कमेटी गठित कर दी है। उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है, जांच रिपोर्ट के लिए कमेटी गठन हो चुका है।